प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17वीं लोकसभा के पहले सत्र की पूर्व संध्या पर सभी राजनीतिक दलों से अपील करते हुए कहा है कि सदन में बड़ी संख्या में नए चेहरे आये हैं तो उसके साथ नई सोच भी आनी चाहिए और इसी नई सोच से ही नए भारत का निर्माण होगा।
पीएम मोदी ने रविवार को सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव में सब लोग बहुत से मुद्दे लेकर गये थे। लोगों ने जनादेश दे दिया है और जनादेश मिलने के बाद हम सारे प्रतिनिधि पूरे देश के प्रतिनिधि हो जाते हैं। हम चाहते हैं कि नया भारत नई सोच के साथ बने। सदन की शुरुआत अच्छे माहौल में होनी चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार लोकसभा में नए चेहरे बहुत आये हैं। नये चेहरों के साथ नई सोच भी आनी चाहिए। हम सब लोगों को पिछली लोकसभा के कार्यकाल में आखिरी दो साल में जो हुआ, उस पर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। वे बीते हुए दो साल लौट कर नहीं आ सकते हैं। हमें सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र पर आगे बढ़ना है।
जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सभी पार्टियों के नेताओं से स्वतंत्रता प्राप्ति की 75 वीं वर्षगांठ, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर यह विचार करने को कहा कि वे किस चीत्र का बलिदान कर सकते हैं। उन्होंने 19 जून को अपराह्न तीन बजे संसद में मौजूद दलों के अध्यक्षों की एक बैठक बुलायी है जबकि अगले दिन 20 जून को शाम सात बजे उन्हीं नेताओं को उनकी पार्टी के सभी सांसदों के साथ आमंत्रित किया है। इन बैठकों में एक देश एक चुनाव, गांधी जी की 150 वीं जयंती मनाने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
संसद के पहले सत्र के विधायी कामकाज के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि इस समय लागू दस अध्यादेशों को निरस्त करने वाले विधेयक लाया जाना जरूरी है। इसके अलावा पिछली लोकसभा के अवसान के साथ निरस्त हो चुके 46 विधेयकों को भी आवश्यक बदलाव करके लाया जाएगा लेकिन उनके समय के बारे में राष्ट्रपति अभिभाषण के बाद ही बताया जा सकेगा।
तृणमूल कांग्रेस के मुद्दों पर सरकार के रुख के बारे में पूछे जाने पर जोशी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कुछ मुद्दे उठाये हैं और कुछ सुझाव दिये हैं। सरकार सबको विश्वास में लेकर चलना चाहती है। संविधान के दायरे में उन पर विचार किया जाएगा।