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नितिन गडकरी बोले- वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की नीतियां पुरानी, बांस उद्योग की वृद्धि को रोकने वाली

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय की नीतियां ‘पुरानी’ हो चुकी हैं और उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए।

केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि पर्यावरण और वन मंत्रालय की नीतियां ‘पुरानी’ हो चुकी हैं और उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन नीतियों की वजह से देश का बांस उद्योग आगे नहीं बढ़ पाया।
गडकरी के पास सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का प्रभार भी है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा राजमार्गों के साथ पेड़ नहीं लगाने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। क्योंकि सड़कों के चौड़ीकरण के लिए पेड़ काटना मुश्किल होगा।
गडकरी ने कोंकण बैंबू एंड केन डेवलपमेंट सेंटर द्वारा आयोजित ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की नीतियां पूरी तरह पुरानी पड़ चुकी हैं। उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए। इमारतों में बैठकर उन्होंने 25 साल तक काटने के लिए बांस को छूने की अनुमति नहीं दी।’’

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अधिकारियों के साथ अपनी बातचीत का जिक्र करते हुए गडकरी ने कहा कि एक बार उन्होंने किसी से पूछा था कि बांस पेड़ है या घास, तो उसने जवाब दिया कि यह घास है। इसके बाद उन्होंने सवाल किया कि वजह है कि इसे काटा नहीं जा सकता।
गडकरी ने कहा कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय का रवैया गलत है। हम पर्यावरण का संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं और साथ ही इसकी वजह से अर्थव्यवस्था का भी विकास नहीं कर पा रहे हैं। एमएसएमई मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस बाधा के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बताया है।

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केंद्र सरकार ने 2017 में भारतीय वन कानून में संशोधन किया था। इसके तहत बांस को घास के रूप में वर्गीकृत किया गया था और इसे पेड़ नहीं माना गया था। हालांकि वन क्षेत्र में पैदा होने वाला बांस वन कानून के तहत ही आता है।
राजमार्गों के बारे में गडकरी ने कहा कि वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सड़क विस्तार गतिविधियों के लिए पेड़ काटने की अनुमति नहीं देता है, जिससे पेड़ लगाना नुकसान की वजह बन जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोग किसी भी स्थिति में पेड़ नहीं लगाना चाहते।
उनका कहना है कि पेड़ लगाने से वन विभाग के साथ समस्या पैदा होगी। ‘‘यह ‘मूर्खता’ है। एक बार हम जमीन का अधिग्रहण करते हैं, तो पेड़ लगाते हैं, उसके बाद हम सड़क को चौड़ा करने के लिए पेड़ काटना चाहते हैं, जिसके लिए अनुमति दी जानी चाहिए’’ उन्होंने कहा कि यदि राजमार्ग के पास की जमीन बंजर पड़ी रहती है तो कोई ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन बांस या पेड़ लगते ही इसे वन घोषित कर दिया जाता है, जिससे सड़क को चौड़ा करने के काम में मुश्किल आती है।

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