कोरोना वायरस से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर पैकेज की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को अंतिम और पांचवी किस्त की घोषणा की। इस घोषणा में वित्त मंत्री ने शिक्षा और स्वास्थ्य पर कई योजनाओं के बारे में बताया। वित्त मंत्री ने बताया कि पीएम विद्या योजना के तहत जल्दी ही ऑनलाइन एजुकेशन के लिए बड़े कदम उठाएं जाएंगे। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार द्वारा रविवार को घोषित आर्थिक प्रोत्साहन की पांचवीं और आखिरी किस्त के भारत के स्वास्थ्य एवं शिक्षा क्षेत्र पर परिवर्तनकारी प्रभाव होंगे।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि इन कदमों से उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को मदद मिलेगी और गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा, “राज्यों के विकास को भी इससे गति मिलेगी।” सरकार ने रविवार को घोषणा की कि कर्ज न चुका पाने की स्थिति में एक साल तक कोई नई दिवालिया प्रक्रिया शुरू नहीं की जाएगी। उद्योगों पर कोविड-19 का बोझ कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।
Measures and reforms announced by the FM today will have a transformative impact on our health and education sectors. They will boost entrepreneurship, help public sector units and revitalise the village economy. Reform trajectories of the states will also get an impetus.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 17, 2020
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिये राज्यों की कुल कर्ज उठाने की सीमा बढ़ा कर पांच प्रतिशत करने की घोषणा की है। अभी तक वे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के तीन प्रतिशत तक ही बाजार से कर्ज ले सकते थे। इस कदम से राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त धन उपलब्ध होगा।
वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के लिये कर्ज लेने की सीमा में की गयी वृद्धि विशिष्ट सुधारों से जुड़े होंगे। ये सुधार ‘एक देश-एक राशन कार्ड’ को अपनाने, कारोबार सुगमता, बिजली वितरण और शहरी व ग्रामीण निकायों के राजस्व को लेकर हैं। उन्होंने कहा कि अभी राज्यों के लिये उधार जुटाने की पहले से स्वीकृत कुल सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपये (सकल राज्य घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत) है। हालांकि, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर उधार जुटाने की सीमा बढ़ाने की मांग की थी। राज्यों ने अब तक अधिकृत सीमा का केवल 14 प्रतिशत उधार लिया है। 86 प्रतिशत अधिकृत कर्ज सीमा को अभी तक उपयोग में नहीं लाया गया है। हालांकि राज्य इसके बावजूद कुल उधार की सीमा को जीएसडीपी के तीन प्रतिशत से बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने की मांग कर रहे थे।