देश की संसद में किसानों की आवाज बुलंद करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की आज 118 वीं जयंती है। उनके सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर देश का हर छोटा बड़ा किसान उन्हें नमन कर रहा है। वहीं केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार से तोहफे के रूप में इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है।
कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर आज भी किसानों पूरे जोश के साथ डटे हुए है। यहां मौजद एक किसान ने कहा, “किसान दिवस पर मैं मोदी सरकार को एक ही बात बोलना चाहता हूं कि कृषि कानूनों को वापस लेकर हमें आज ये गिफ्ट में दें क्योंकि अबका किसान पढ़ा-लिखा है उन्हें इस कानूनों के बारे में पता है।”
भारत में 23 दिसंबर ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। दरअसल, इसी दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ था, जिन्होंने किसानों के जीवन और स्थितियों को बेहतर बनाने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की थी। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में चौधरी चरण सिंह के सम्मान में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।
गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग को लेकर किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
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सरकार ने बार-बार दोहराया है कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था कायम रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। अब तक सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई वार्ता विफल रही है।