प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में एक बार फिर देश की जनता को कोरोना से सचेत किया है। उन्होंने कहा है कि कोरोना से लड़ाई का मंत्र सबको जरूर याद रखना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल जनता कर्फ्यू के दौरान देश की जनता के सहयोग को याद करते हुए कहा कि पूरे विश्व के लिए यह अचरज बन गया था। अनुशासन का ये अभूतपूर्व उदाहरण था, आने वाली पीढ़ियां इस एक बात को लेकर जरुर गर्व करेगी।
उन्होंने कहा, उसी प्रकार से हमारे कोरोना वारियर्स के प्रति सम्मान, आदर, थाली बजाना, ताली बजाना, दिया जलाना। आपको अंदाजा नहीं है कोरोना वारियर्स के दिल को कितना छू गया था वो, और, वो ही तो कारण है, जो पूरे साल भर, वे, बिना थके, बिना रुके, डटे रहे। देश के एक-एक नागरिक की जान बचाने के लिए जी-जान से जूझते रहे। पिछले साल इस समय सवाल था कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी। साथियों, हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज भारत, दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने से हम ऐसी खबरें सुन रहे हैं, ऐसी तस्वीरें देख रहे हैं जो हमारे दिल को छू जाती हैं। यूपी के जौनपुर में 109 वर्ष की बुजुर्ग मां, राम दुलैया जी ने टीका लगवाया है, ऐसे ही दिल्ली में भी 107 साल के केवल कृष्ण ने वैक्सीन की डोज ली है। हैदराबाद में सौ साल के जय चौधरी ने भी वैक्सीन लगवाई और सभी से लगवाने की अपील की है। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा, इन सबके बीच, कोरोना से लड़ाई का मंत्र भी जरुर याद रखिए -‘दवाई भी – कड़ाई भी’ .
उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में आधुनिक पद्धतियां अपनाना आवश्यक है और जीवन के हर आयाम में नयापन, आधुनिकीकरण अनिवार्य है। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ की 75वीं कड़ी में कहा, ‘‘भारत के कृषि क्षेत्र में आधुनिकीकरण वक्त की जरूरत है। इसमें देरी की गई और हमने पहले ही बहुत समय गंवा दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने, किसानों की आय बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि खेती के पारंपरिक तरीकों के साथ ही नए विकल्पों, नवोन्मेष को अपनाया जाए।’’ मोदी ने कहा कि देश ने श्वेत क्रांति के दौरान यह देखा और मधुमक्खी पालन भी ऐसे ही विकल्प के रूप में सामने आ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कृषि में ऐसे समय में आधुनिक तरीके अपनाने का आह्वान किया जब सैकड़ों किसान तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं- गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। सरकार का कहना है कि इन कानूनों से किसानों की आय बढ़ेगी और वे देश में कहीं भी अच्छे दाम पर अपनी फसल बेच सकेंगे।