प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत ‘‘उच्च शिक्षा में रूपांतरकारी सुधारों’’ पर आयोजित एक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने नई शिक्षा नीति परदेश के सामने अपने विचार रखें। पीएम मोदी ने कहा “राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र से, किसी भी वर्ग से ये बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का पूर्वाग्रह है, या किसी एक ओर झुकी हुई है।
नई शिक्षा नीति की देशभर में हो रही है व्यापक चर्चा
पीएम मोदी ने कहा कि “आज देशभर में इसकी व्यापक चर्चा हो रही है। अलग-अलग क्षेत्र के लोग, अलग-अलग विचारधाराओं के लोग, अपनी राय दे रहे हैं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को रिव्यु कर रहे हैं। ये एक हेल्दी डिबेट है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा।”
शिक्षा व्यवस्था का मकसद- वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को फ्यूचर रेडी रखे
उन्होंने कहा कि “आप सभी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इम्प्लिमेंटेशन से सीधे तौर पर जुड़े हैं और इसलिए आपकी भूमिका बहुत ज्यादा अहम है। जहां तक राजनीतिक इच्छाशक्ति की बात है, मैं पूरी तरह कमिटेड हूं, मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं।” उन्होंने कहा कि ” हर देश, अपनी शिक्षा व्यवस्था को अपनी नेशनल वैल्यूज़ के साथ जोड़ते हुए, अपने नेशनल गोल्स के अनुसार रिफॉर्म करते हुए चलता है। मकसद ये होता है कि देश की शिक्षा व्यवस्था, अपनी वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को फ्यूचर रेडी रखे, फ्यूचर रेडी करे।”
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की, नए भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है
पीएम मोदी ने कहा कि “भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का आधार भी यही सोच है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की, नए भारत की फाउंडेशन तैयार करने वाली है।” उन्होंने कहा, ” बीते अनेक वर्षों से हमारे शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव नहीं हुए थे। परिणाम ये हुआ कि हमारे समाज में जिज्ञासा और कल्पना की वैल्यूज़ प्रमोट करने के बजाय भेड़ चाल को प्रोत्साहन मिलने लगा था।”
उच्चतम शिक्षा हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है
पीएम मोदी ने कहा कि “आज गुरुवर रबीन्द्रनाथ ठाकुर की पुण्यतिथि भी है। वो कहते थे – “उच्चतम शिक्षा वो है जो हमें सिर्फ जानकारी ही नहीं देती बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सद्भाव में लाती है।” निश्चित तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का बृहद लक्ष्य इसी से जुड़ा है।”
नई शिक्षा नीति में ‘हाऊ टू थिंक’ पर दिया जा रहा है बल
प्रधानमंत्री ने कहा कि “इस बात में कोई विवाद नहीं है कि बच्चों के घर की बोली और स्कूल में पढ़ाई की भाषा एक ही होने से बच्चों के सीखने की गति बेहतर होती है। ये एक बहुत बड़ी वजह है जिसकी वजह से जहां तक संभव हो, पांचवी तक, बच्चों को उनकी मातृभाषा में ही पढ़ाने पर सहमति दी गई है।”
उन्होंने कहा, “अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें ‘व्हाट टू थिंक’ पर फोकस रहा है जबकि इस शिक्षा नीति में ‘हाऊ टू थिंक’ पर बल दिया जा रहा है। ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि आज जिस दौर में हम हैं, वहां इन्फोर्मेशन और कंटेट की कोई कमी नहीं है।” मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद देश के किसी भी क्षेत्र, वर्ग से यह बात नहीं उठी कि इसमें किसी तरह का झुकाव है।
उन्होंने कहा, “यह एक संकेत भी है कि लोग बरसों से चली आ रही एजूकेशन सिस्टम को बदलाव चाहते थे। वैसे कुछ लोगों के मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि इसे जमीन पर कैसे उतारा जाएगा? अब सभी की निगाहें इसे लागू करने की तरफ है। इस चैलेंज को देखते हुए जहां कहीं सुधार की आवश्यकता है, उसे हम सब को मिलकर करना ही है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने शिक्षाविदों से अपील करते हुए कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में सीधे तौर पर जुड़ें। आप सबकी भूमिका बहुत ज्यादा है।