कांग्रेस ने पुलवामा आतंकी हमले के कुछ घंटों बाद ही उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मोबाइल फोन के जरिए जनसभा को संबोधित करने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि मोदी बताएं कि हमले के शुरुआती दो घंटों के दौरान उन्हें इस जघन्य हमले की जानकारी थी या नहीं। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी थी तो फोटोशूट कर और जनसभा कर उन्होंने संवेदनहीनता क्यों दिखाई और अगर दो घंटों तक इतने बड़े हमले के बारे में जानकारी नहीं थी कि तो यह सुरक्षा से जुड़ा गंभीर प्रश्न है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, “14 फरवरी को दिन में तीन बजकर 10 मिनट पर हमला हुआ और दो घंटे बाद प्रधानमंत्री ने मोबाइल फोन के जरिए रैली संबोधित की। वह इस जनसभा में पुलवामा हमले के बारे में एक शब्द नहीं बोले। अगर वह पुलवामा हमले के बारे में बोलते, इसकी निंदा करते, जवानों को श्रद्धांजलि देते तो वह कम से कम दो मिनट का मौन रखने के लिए कहते। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।” उन्होंने दूरदर्शन पर प्रसारित प्रधानमंत्री के भाषण की एक फुटेज भी दिखाई और दावा किया कि प्रधानमंत्री शाम में पांच बजकर 10 मिनट पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
सूत्रों का दावा – पीएम नरेंद्र मोदी ने पुलवामा हमले के बाद कुछ भी नहीं खाया
तिवारी ने सवाल किया, “हम प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि आप उस दिन तीन बजकर 10 मिनट से पांच बजकर 10 मिनट के बीच क्या कर रहे थे? क्या इस दौरान आपको इस हमले की जानकारी थी?” कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “इसमें दो बातें हो सकती हैं। पहली बात यह हो सकती है कि प्रधानमंत्री को इस हमले के बारे में पता था और उन्होंने फोटोशूट करना जारी रखा और रैली को संबोधित किया। अगर ऐसा है तो इससे बड़ी संवदेनहीनता कुछ नहीं हो सकती।”
उन्होंने कहा, “दूसरी बात यह हो सकती है कि तीन बजकर 10 मिनट से पांच बजकर 10 मिनट बीच तक प्रधानमंत्री को पता नहीं था। अगर ऐसा है तो यह सुरक्षा से जुड़ा गंभीर प्रश्न है। इससे सरकार की अक्षमता साबित होती है।” इससे पहले बृहस्पतिवार को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया था कि जब देश इस जघन्य हमले के कारण सदमे में था तो उस वक्त मोदी कार्बेट पार्क में एक चैनल के लिए फिल्म की शूटिंग और नौकायन कर रहे थे।
उधर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश की सुरक्षा पर प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता को लेकर आरोप लगाने का देश की जनता पर कोई असर नहीं होने वाला है। गौरतलब है कि गत 14 फरवरी को हुए पुलवामा आत्मघाती आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हो गए थे।