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सबरीमला पर PM मोदी का बयान कोर्ट की अवमानना, SC ले स्वत: संज्ञान – येचुरी

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सबरीमाला मामले में केरल की वाम मोर्चा सरकार के रवैये को शर्मनाक बताने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथित

माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सबरीमाला मामले में केरल की वाम मोर्चा सरकार के रवैये को शर्मनाक बताने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथित बयान की निंदा करते हुये कहा है कि यह उच्चतम न्यायालय की अवमानना है और सर्वोच्च अदालत को इस पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिये।

उल्लेखनीय है कि मोदी ने सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर केरल की माकपा के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार और कांग्रेस की अगुआई वाले विपक्षी यूडीएफ की मंगलवार को आलोचना की थी। मोदी ने कहा था कि एलडीएफ और यूडीएफ, दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। वहीं राज्य सरकार की दलील है कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू कर सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह कर रही है।

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येचुरी ने ट्वीट कर कहा ‘‘कम से कम उच्चतम न्यायालय को अब मोदी द्वारा की गयी अदालत की अवमानना पर स्वत:संज्ञान लेना चाहिये। कानून का शासन प्रभावी होना चाहिये, भीड़ का शासन नहीं। हम उच्चतम न्यायालय के आदेश से बंधे हैं।’’ येचुरी ने संविधान की शपथ ले कर प्रधानमंत्री के पद पर आसीन व्यक्ति के लिये इस तरह के बयान को शर्मनाक बताया।

इससे पहले बुधवार को माकपा पोलित ब्यूरो की ओर से भी जारी बयान में कहा गया है, ‘‘केरल के कोलम में प्रधानमंत्री ने एक जनसभा में कथित तौर पर कहा कि सबरीमला मामले में एलडीएफ सरकार का रुख ‘शर्मनाक’ है। यह बयान बेहद निंदनीय है। यह उस सरकार को धिक्कारना है जो उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने में लगी है।’’

पोलित ब्यूरो ने मोदी पर आरएसएस प्रचारक की भाषा बोलने का आरोप लगाते हुये कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी यह भूल गये कि उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ली है। उनका यह बयान संविधान और उच्चतम न्यायालय पर सीधा हमला है।’’

गौरतलब है कि पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली एलडीएफ सरकार पर तंज कसते हुए मोदी ने कथित तौर पर कहा था कि सबरीमला मुद्दे पर इसका आचरण किसी भी पार्टी और सरकार द्वारा इतिहास में किये गये ‘‘सबसे शर्मनाक व्यवहार’’ के रूप में दर्ज किया जायेगा।

माकपा पोलित ब्यूरो ने मोदी के इस बयान के भविष्य में गंभीर परिणामों के प्रति आगाह करते हुये कहा कि भाजपा आरएसएस के पक्ष में उच्चतम न्यायालय का कोई फैसला नहीं होने पर इसका विरोध करने की स्थिति भारत के इतिहास में अप्रत्याशित है। पार्टी ने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों में भरोसा करने वाले सभी लोग प्रधानमंत्री के इस रुख की आलोचना करेंगे।

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