रायपुर : छत्तीसगढ़ में जिलों को लेकर फिर से चुनावी साल में कवायदें तेज हो गई है। राज्य गठन के बाद प्रशासनिक विकेन्द्रीकरण के मामले में नए सिरे से प्रयोग किए गए। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कुछ जिलों का गठन करने की कवायदें हुई। वहीं सत्ता में आने के बाद रमन सरकार ने 16 नए जिले बनाकर कामकाज को आगे बढ़ाया।
प्रशासनिक कामकाज के सरलीकरण के साथ विकेन्द्रीकरण होते ही विकास भी वहां पहुंच पाना सुलभ हो पाया। इधर चुनावी वर्ष में एक बाद फिर जिलों के गठन को लेकर कवायदें तेज हो गई है। कांग्रेस ने नए सिरे से पांसा फेंकते हुए छत्तीसगढ़ में 36 जिले की वकालत कर दी है। वहीं दावे कर दिए कि कांग्रेस के पास इसका एक विस्तृत प्लान तैयार है। वहीं सत्ता में लौटते ही राज्य में 9 नए जिले बनाकर जिलों की संख्या 36 कर दी जाएगी।
कांग्रेस के इस ऐलान के कई राजनीतिक मायने हैं। दरअसल, राज्य में जिलों के पुनर्गठन के बावजूद अभी भी कई क्षेत्र ऐसे हैं जो जिलों का दर्जा पाने के मापदंडों में सही फिट बैठते हैं। रमन सरकार द्वारा 16 नए जिले बनाए जाने के बाद जरूर आम लोगों को जिला मुख्यालयों तक जाने लंबी दूरी के झंझटों से मुक्ति मिल पाई।
वहीं अभी भी इस मामले में गुंजाईश बाकी है। कई क्षेत्रों से लोगों की मांग भी आई है। इस मामले में मौजूदा साल में फिलहाल निर्णय की संभावना नजर नहीं आती है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दांव के बाद सत्ताधारी दल की ओर से भी इस मामले में कवायदें हो सकती है।
राज्य गठन से पहले तक जिलों की संख्या कम होने की स्थिति में आम लोगों को मुख्यालय तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कतें करनी पड़ती थी। यह दिक्कतें अब कम जरूर हुई है। इसके बावजूद राज्य के सभी क्षेत्रों के लोगों की तकलीफें कम नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस की घोषणा के बाद इसे जनघोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा।
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