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संघ को उनके मुख्यालय में ही प्रणब मुखर्जी ने दिखाया आईना : रणदीप सुरजेवाला

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नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति डॉ. प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय से दिए गए भाषण पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बोले दिया है।  सुरजेवाला ने कहा है कि मुखर्जी का संघ मुख्यालय जाने का फैसला विमर्श की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।  पूर्व राष्ट्रपति ने संघ को उनके मुख्यालय में आईना दिखाया है।  उन्होंने कहा प्रणब मुखर्जी के आरएसएस मुख्यालय जाने पर कई लोगों ने चिंता जताई थी जो भारत की अनेकता में भरोसा रखते हैं। प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस को उसके मुख्यालय में ही सच का आईना दिखा दिया।  भारत की गौरवशाली परंपरा का पाठ पढ़ाया।  प्रणब मुखर्जी जी ने मोदी सरकार को राज धर्म भी सिखाया।

जनता की खुशी ही शासक की खुशी होती है।  प्रणब ने बताया कि भारत विविधता में जीता है,सहिष्णुता में जीता है।  उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद, संवैधानिक राष्ट्रवाद है। रणदीप सुरजेवाला ने संघ से कई सवाल किए।  उन्होंने कहा, “आरएसएस अपनी भूल स्वीकार करने को तैयार है? दलित,महिला और अल्पसंख्यक के खिलाफ अपने पूर्वाग्रह को छोड़ने के लिए संघ तैयार है?” क्या प्रणब को बुलाकर आरएसएस सामाजिक और राजनीतिक सुचिता हासिल करना चाहता है? पूर्व राष्ट्रपति के हेडगेवार को भारत का महान सपूत बताने वाले बयान पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है एक मेहमान के तौर पर प्रणब जी ने जो कहा उसकी तरफ ध्यान देने की जरूरत है बजाए की अनावश्यक विषय के। बता दें पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रणब मुखर्जी ने नागपुर के रेशमीबाग स्थित आरएसएस मुख्यालय में संघ के तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लेने वाले काडर को संबोधित किया।

‘‘राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशप्रेम’’ के बारे में आरएसएस मुख्यालय में अपने विचार साझा करते हुए पूर्व राष्ट्रपति एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत की आत्मा ‘‘बहुलतावाद एवं सहिष्णुता’’ में बसती है। मुखर्जी ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में हम अपनी ताकत सहिष्णुता से प्राप्त करते हैं और बहुलवाद का सम्मान करते हैं।  हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते हैं। उन्होंने प्राचीन भारत से लेकर देश के स्वतंत्रता आंदोलत तक के इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारा राष्ट्रवाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तथा ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ जैसे विचारों पर आधारित है।  उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रवाद में विभिन्न विचारों का सम्मिलन हुआ है।  उन्होंने कहा कि घृणा और असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीयता कमजोर होती है।

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