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सर्वदलीय बैठक में पुलवामा हमले की कड़ी निंदा, कहा- बलों के साथ एकजुटता से खड़े हैं

इसमें कहा गया है पिछले तीन दशकों से भारत सीमा पार आतंकवाद का दंश झेल रहा है। सीमा पार ताकतें हालिया दिनों में आतंकवाद को प्रोत्साहित करने में सक्रिय हुई।

पुलवामा हमले के मद्देनजर शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक में आतंकवाद के सभी स्वरूपों तथा पड़ोसी देश से उसे मिल रहे समर्थन की कड़ी निंदा करते हुये सभी राजनीतिक दलों ने एक सुर में कहा कि वे सुरक्षा बलों के साथ खड़े हैं।

गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संसद के दोनों सदनों में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। एक प्रस्तुतिकरण की जरिये उन्हें हमले के बारे में जानकारी दी गई।बैठक के बाद संसदीय कार्यमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पत्रकारों से कहा कि 14 फरवरी को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों पर पुलवामा में हुये इस हमले से पूरा देश आहत और आक्रोशित है।

उन्होंने बताया कि बैठक में एक प्रस्ताव पारित कर इस हमले की निंदा की गई तथा सभी दलों ने आतंकवाद से लड़ने और देश की एकता तथा अखंडता की रक्षा के लिए सुरक्षा बलों के साथ होने की बात कही। प्रस्ताव में कहा गया है, “हम किसी भी तरह के आतंकवाद तथा सीमा पार से उसे मिल रहे समर्थन की निंदा करते हैं। आतंकवाद से लड़ाई और देश की एकता तथा अखंडता की रक्षा में हम अपने सुरक्षा बलों के साथ डटकर खड़े हैं।”

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इसमें कहा गया है कि पिछले तीन दशकों से भारत सीमा पार आतंकवाद का दंश झेल रहा है। सीमा पार ताकतें हालिया दिनों में आतंकवाद को प्रोत्साहित करने में सक्रिय हुई हैं। भारत ने इन चुनौतियों का मजबूती से सामना किया है। पूरा देश एक सुर में इन चुनौतियों से निपटने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर करता है। बैठक में सबसे पहले सभी दलों के प्रतिनिधियों ने दो मिनट का मौन रखकर पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

राजनाथ सिंह ने बैठक की शुरुआत में कहा कि सुरक्षा बलों के हौसले बुलंद हैं। सरकार जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। सेना को कार्रवाई के लिए खुली छूट दी गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद को लेकर सरकार की नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ की रही है। जम्मू-कश्मीर की आम जनता अमन पसंद है और वे हमारे साथ खड़े है, लेकिन कुछ ऐसे तत्त्व हैं जो वहाँ शांति नहीं चाहते। उन्हें सीमा पार से भी मदद मिल रही है।

करीब डेढ़ घंटे चली बैठक में सभी दलों ने एक सुर में इस हमले की निंदा की और भरोसा दिलाया कि वे आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह सरकार का समर्थन करते हैं और सुरक्षा बलों के साथ हैं। इस दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और तेलुगुदेशम् पार्टी ने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री को सभी राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय दलों के प्रमुखों के साथ बैठक करनी चाहिये।

सूत्रों के अनुसार, कुछ राजनीतिक दलों ने शहीदों के परिजनों को मिलनी वाला सहायता राशि में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की माँग की ताकि सभी शहीदों के परिजनों को एक समान सहायता राशि दी जा सके। सूत्रों ने यह भी बताया कि बैठक में नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता फारुख अब्दुल्ला ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की माँग की। कुछ दलों ने हमले के बारे में और विवरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जिस पर उन्हें बाद में ज्यादा विवरण उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया गया।

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