सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यौन हिंसा के मामलों में आरोपी को पीड़ित से राखी बंधवाने का आदेश सिर्फ नाटक है। अटॉर्नी जनरल ने न्यायाधीशों को लैंगिक रूप से संवेदनशील बनाने और जमानत की शर्तें निर्धारित करते समय तथ्यों पर केंद्रित रहने की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों में लैंगिक संवेदनशीलता होनी चाहिए तो पीठ ने कहा, ‘लैंगिक संवेदनशीलता हमारे आदेश का हिस्सा होगी। राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य अकादमियों को इस बारे में शिक्षा देनी की इजाजत नहीं है। न्यायाधीश भर्ती परीक्षा में भी लैंगिक संवेदनशीलता के बारे में एक हिस्सा होना चाहिए।
यौन हिंसा के मामलों के आदेशों में आरोपी से यह कहना कि वह पीड़ित से राखी बंधवाए ड्रामा है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को पेश मामले के तथ्यों पर केंद्रित रहने की आवश्यकता है। बता दें कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के 30 जुलाई के आदेश के खिलाफ 9 महिला अधिवक्ताओं ने यह अपील दायर कर इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
इस अपील में कहा गया है कि देश भर की अदालतों को इस तरह की शर्तें लगाने से रोका जाना चाहिए, क्योंकि यह कानून के सिद्धांतों के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में आरोपी को जमानत देते हुए यह शर्त लगाई थी कि वह अपनी पत्नी के साथ पीड़ित के घर जाएगा और उससे अपने हाथ पर राखी बंधवाने का अनुरोध करते हुए हमेशा उसकी सुरक्षा करने का वादा करेगा।