कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। इस दौरान राहुल ने कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से आ रही मुश्किलों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जिस स्थिति में अभी भारत है वह सामान्य स्थिति नहीं है। इस स्थिति का समाधान है लेकिन यदि हम इसे जिलास्तर पर ले जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को अभी पारदर्शिता बरतनी होगी।
उन्होंने कहा कि यदि कोरोना स्थिति को पीएमओ तक रखेंगे तो हम कोरोना लड़ाई हार जाएंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि वायरस से निजात पाने के लिए प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री को जिलाधिकारी पर विश्वास करना होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना एक गंभीर बीमारी नहीं है यह सिर्फ 1 प्रतिशत व्यक्ति के लिए गंभीर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को यह जनता को बताना चाहिए कि 99 प्रतिशत हिन्दुस्तानियों के लिए यह खतरनाक बीमारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार को लॉकडाउन खोलने की नीति जनता को बतानी चाहिए और मजदूरों के खाते में सीधे पैसा डालना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय चीज जो अब सरकार को करने की जरूरत है वह अपने कार्यों पर थोड़ी पारदर्शिता बरतें। हमें यह समझने की जरूरत है कि जब वे लॉकडाउन खोलते हैं तो उसके खुलने का मापदंड क्या होगा।
कांग्रेस नेता ने कहा कि यह आलोचना करने का समय नहीं है, हमें लॉकडाउन खोलने के लिए एक रणनीति की आवश्यकता है। कोई भी व्यवसायी आपको बताएगा कि आर्थिक आपूर्ति श्रृंखला और ‘लाल, नारंगी और हरे रंग के क्षेत्रों’ के बीच टकराव है, जिसे हल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर लाल, नारंगी और हरे क्षेत्रों का सीमांकन किया गया है। इन क्षेत्रों को जिला मजिस्ट्रेटों को मिलाकर राज्य स्तर पर तय किया जाना चाहिए। हमारे सीएम कह रहे हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर जो क्षेत्र रेड जोन हैं, वे वास्तव में ग्रीन जोन और इसके विपरीत हैं।
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प्रवासी मजदूरों की मदद को लेकर राहुल ने कहा कि न्याय योजना की मदद से लोगों के हाथ में पैसा देना शुरू करें जिसमें 65 हजार करोड़ का खर्च आएगा। अगर आप दिहाड़ी मजदूर हैं, तो आपको जरूरत है कि लोगों को मौका दिया जाए। मजदूरों को जाने को लेकर केंद्र सरकार को राज्य से बात करने होगी।” कांग्रेस नेता ने कहा कि “सरकार सोच रही है कि अगर तेजी से पैसा खर्च करना शुरू कर देंगे तो रुपये की हालत खराब हो जाएगी। लेकिन सरकार को इस वक्त रिस्क लेना होगा, क्योंकि जमीनी स्तर पर पैसा पहुंचाना जरूरी है। सरकार जितना सोच रही है, उतना हमारा समय बर्बाद हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि “भारत में कोरोना की रफ्तार जून-जुलाई के बाद भी तेज हो सकती है। अब वक्त आ गया है जब छोटे कारोबारियों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया जाए और लॉकडाउन को खोलने की तैयारी की जाए। सरकार को बताना चाहिए कि क्या हो रहा है, आखिर लॉकडाउन कब खुलेगा? लोगों को बताना जरूरी है कि किस स्थिति में लॉकडाउन खोला जाएगा।”