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SCO की बैठक में शामिल होने के लिए राजनाथ सिंह ताजिकिस्तान के लिए रवाना, रक्षा सहयोग पर होगी चर्चा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय दौरे के लिए ताजिकिस्तान रवाना हो गए है। संगठन (एससीओ) की वार्षिक में शामिल होने के लिए ये यात्रा कर रहे है। इस दौरान वह आतंकवाद के उन्मूलन के लिए आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी देंगे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय दौरे के लिए ताजिकिस्तान रवाना हो गए है। संगठन (एससीओ) की वार्षिक बैठक में शामिल होने के लिए ये यात्रा कर रहे है।  इस दौरान वह आतंकवाद के उन्मूलन के लिए आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी देंगे।
सूत्रों ने कहा कि वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक के दौरान भारतीय सीमाओं पर चुनौतियों के बारे में भी बात करेंगे। वह 27 जुलाई से 29 जुलाई तक ताजिकिस्तान के दुशांबे के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।
वार्षिक बैठक में, एससीओ सदस्य देशों के बीच रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की जाती है और विचार-विमर्श के बाद एक विज्ञप्ति जारी किए जाने की उम्मीद है। दुशांबे की अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह के अपने ताजिक समकक्ष कर्नल जनरल शेराली मिर्ज़ो से भी द्विपक्षीय मुद्दों और आपसी हित के अन्य मुद्दों पर चर्चा करने की उम्मीद है।
ताजिकिस्तान इस साल एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और मंत्रिस्तरीय और आधिकारिक स्तर की बैठकों की एक श्रृंखला की मेजबानी कर रहा है।
बैठक में सिंह का संबोधन 28 जुलाई, 2021 को निर्धारित किया गया है। संगठन में आठ सदस्य देश शामिल हैं -भारत, कजाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और पाकिस्तान । भारत 2017 में एससीओ का सदस्य बना है। सभी आठ एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों के आतंकवाद और उग्रवाद जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा करने की उम्मीद है। वे सामूहिक रूप से इनसे निपटने के तरीकों पर भी विचार करेंगे।
संगठन को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के प्रतिकार के रूप में देखा जाता है। यह सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। यह आर्कटिक महासागर से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर से बाल्टिक सागर तक फैली दुनिया की लगभग 44 प्रतिशत आबादी के लिए जिम्मेदार है। संगठन का उद्देश्य क्षेत्र की शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना है। पिछले साल यह मुलाकात रूस के मास्को में हुई थी। फिर ये मुलाकात भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के साये में हुई।

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