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राज्यसभा : आरक्षण नीति की निगरानी के लिए कार्य बल गठित करने की उठी मांग

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के एक सदस्य ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में देश में आरक्षण नीति के क्रियान्वयन पर निगरानी के लिए एक कार्य बल गठित करने की मांग की।

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के एक सदस्य ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में देश में आरक्षण नीति के क्रियान्वयन पर निगरानी के लिए एक कार्य बल गठित करने की मांग की। शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए टीआरएस के बंदा प्रकाश ने कहा कि भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों और सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों में भी आरक्षण नीति का अनुसरण नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएम और आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।’’
 उन्होंने कहा कि आईआईएम में अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के 60 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं जबकि अनुसूचित जनजाति के 80 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की स्थिति देश के विभिन्न आईआईटी और देश के कई विश्वविद्यालयों में है जहां आरक्षण नीति का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो रहा है। उन्होंने बताया कि देश के 42 विश्वविद्यालयों में 6074 पद हैं और इनमें 75 प्रतिशत पद खाली हैं। प्रकाश ने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इन विश्वविद्यायलों से छह महीने के भीतर खाली पदों को भरने का आग्रह किया था लेकिन इसे भी नजरअंदाज किया जा रहा है। 
टीआरएस सदस्य ने कहा कि राज्य सरकारें निचली अदालतों में तो आरक्षण नीति को लागू कर रही हैं लेकिन सर्वोच्च न्यायालय और उच्च अदालतों में इसका अनुसरण नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सरकार से आग्रह करता हूं कि देश के आरक्षण नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर निगरानी के लिए एक कार्य बल का गठन किया जाए।’’ उन्होंने कहा कि साथ ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी मामलों की संसदीय समितियों को भी हर तीन महीने में आरक्षण नीतियों की निगरानी करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से इस संबंध में विशेष दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया।

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