रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने मंगलवार को कहा केन्द्रीय बैंक के पास उस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए पर्याप्त अधिकार नहीं है जैसी नीरव मोदी ने की और बैंकिंग नियामक के लिए सभी बैंक शाखाओं की निगरानी कर पाना असंभव है।
सूत्रों के अनुसार उर्जित पटेल ने कांग्रेस सदस्य एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली वित्तीय स्थायी संसदीय समिति को दिये लिखित बयान में यह बात कही। उन्होंने लिखा है कि देश में 1.63 लाख से अधिक बैंक शाखायें है, जिससे केन्द्रीय बैंक के लिए दैनिक आधार पर नीरव मोदी जैसे मामलों की निगरानी करना असंभव है।
उन्होंने संसदीय समिति का आश्वस्त किया कि बैंकिंग तंत्र को मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त कदम उठाये जा रहे हैं और भविष्य में नीरव मोदी जैसे मामले नहीं हो, ऐसी कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की समस्या से जल्द ही निजात पा लिया जायेगा।
सूत्रों ने कहा कि गैर निष्पादित परिसंपत्तियों के मामले में श्री पटेल ने समिति से कहा कि इंसोल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोर्ड के लागू होने के बाद एनपीए के मामले में सुधार होने लगा है। समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने जोखिम वाले ऋण में हो रही बढोतरी और कई सरकारी बैंकों की स्थिति पर भी चिंता जतायी।
सूत्रों के अनुसार, समिति के अध्यक्ष और सदस्यों ने रिजर्व बैंक के गवर्नर से नोटबंदी के दौरान जमा हुये नोटों के बारे में भी पूछा जिस पर उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने नोट गिनती करने वाली नयी मशीनों के आर्डर दिये गये क्योंकि पुरानी मशीने या कर्मचारी इतने अधिक नोटों की गिनती पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। नयी मशीने खरीदी जा रही है जो नोटों की चुटकी बचाते गिनती करने और नकली नोट अलग करने में भी सक्षम हैं।
इस समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद सदस्य हैं। सदस्यों में भारतीय जनता पार्टी के निशिकांत दुबे और रत्तन लाल कटारिया, बीजू जनता दल के बी मेहताब, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रेम दास राय, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और दिनेश त्रिवेदी तथा कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हैं।
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