रिजर्व बैंक ने सस्ते मकानों के लिये सस्ते कर्ज की सीमा बढ़ाई, घर खरीदारों को वित्तीय कर्जदाता का दर्जा मिला  - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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रिजर्व बैंक ने सस्ते मकानों के लिये सस्ते कर्ज की सीमा बढ़ाई, घर खरीदारों को वित्तीय कर्जदाता का दर्जा मिला 

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नयी दिल्ली : सस्ते मकानों की दिशा में सरकार की तरफ से आज एक और पहल की गई। रिजर्व बैंक ने ऐसे मकानों के लिये सस्ते कर्ज की सीमा बढ़ा दी है जबकि सरकार ने खस्ताहाल बंदी की कगार पर पहुंचे सार्वजनिक उपक्रमों की जमीन को सस्ते मकान बनाने के लिये देने को प्राथमिकता दिये जाने के दिशानिर्देश जारी किये हैं। एक अन्य घटनाक्रम में राष्ट्रपति ने आज एक अध्यादेश को मंजूरी दी जिसमें बिल्डरों से मकान खरीदने वाले ग्राहकों को भी बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तरह वित्तीय कर्जदाता माना जायेगा। ऐसे में बिल्डरों के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने की स्थिति में मकान खरीदारों की बात भी प्रमुखता से सुनी जायेगी।

रिजर्व बैंक ने आज जारी एक वक्तव्य में कहा है कि प्राथमिक क्षेत्र कर्ज पात्रता के तहत महानगरों में आवास रिण सीमा को 28 लाख रुपये से बढ़ाकर 35 लाख रूपये कर दिया गया है। अन्य केन्द्रों के लिये यह रिण सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये की गई है। इसमें कहा गया है कि दस लाख और इससे अधिक आबादी वाले महानगरों में इस तरह के फ्लैट और आवास का कुल मूल्य 45 लाख रुपये और अन्य केन्द्रों में 30 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिये। वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार रिजर्व बैंक के वक्तव्य के बाद ट्वीट में कहा , ‘‘ सभी के लिये घर को मिलेगा बड़ा समर्थन। प्राथमिक क्षेत्र के कर्ज में बड़े शहरों के लिये आवास रिण सीमा को 35 लाख रुपये करने और अन्य शहरों में 25 लाख रुपये करने से इस तरह के बैंक कर्ज सस्ते हो जायेंगे। ’’

प्राथमिक क्षेत्र कर्ज (पीएसएल) के तहत दिये जाने वाले कर्ज बैंकों द्वारा सामान्य तौर पर दिये जाने वाले कर्ज के मुकाबले सस्ते होते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि इस संबंध में एक सर्कुलर महीने के अंत तक जारी किया जायेगा। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून 2018 में संशोधन को मंजूरी देते हुये अध्यादेश जारी कर दिया। अध्यादेश में कानून में संशोधन किया गया है। आवासीय परियोजनाओं में मकान खरीदने वाले ग्राहकों को वित्तीय कर्जदाता की श्रेणी में माना गया है। इस श्रेणी में आने के बाद घर खरीदार भी बिल्डर के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू होने की स्थति में रिणदाताओं की समिति में शामिल होंगे और निर्णय प्रक्रिया में उनका योगदान होगा।

इस संशोधन के बाद घर खरीदार भी दिवाला कानून की धारा सात का इस्तेमाल करते हुये बिल्डरों के खिलाफ दिवाला समाधान प्रक्रिया के लिये आवेदन कर सकेंगे। यह अध्यादेश ऐसें समय जारी किया गया है जब कई घर खरीदार अपना फ्लैट अथवा घर पाने के लिये अदालतों के चक्कर काट रहे हैं और परियोजनायें अधर में लटकी पड़ी हैं। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इससे पहले आज दिन में बीमार और खस्ताहाल सार्वजनिक उपक्रमों को बंद करने की प्रक्रिया को समयबद्ध तरीके से पूरा करने और उनकी जमीन का सस्ती आवासीय परियोजनाओं के लिये इस्तेमाल किये जाने को प्राथमिकता देने के संशोधित दिशानिर्देशों को मंजूरी दे दी। रिजर्व बैंक ने मौद्रिक समीक्षा में छोटे आवासीय रिणों को लेकर चिंता जताई और ऐसे छोटे कर्ज पर नजर रखने पर जोर दिया। रिजर्व बैंक ने कहा है कि आवासीय कर्ज के आंकड़ों का सावधानी पूर्वक विश्लेषण करने पर यह देखा गया है कि दो लाख रुपये तक के कर्ज में एनपीए ऊंचा है और यह तेजी से बढ़ रहा है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों को ऐसे कर्ज देते समय गहन जांच पड़ताल करनी चाहिये छोटी राशि की इस कर्ज श्रेणी पर नजर रखनी चाहिये।

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