कांग्रेस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज नहीं चुकाने वाले जिन सौ बड़े कर्जदारों के नाम बताने का पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक को आदेश दिया है उसका पालन करने के साथ ही यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि चार साल तक किन कारणों से इस सूची को सार्वजनिक करने में टालमटोल की जाती रही है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को कहा कि सूचना के अधिकार के तहत बैंकों का ऋण नहीं लौटाने वाले बड़े कर्जदारों की सूची मांगी गई थी। याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक बैंकों के साथ ही गुजरात के कोपरेटिव बैंक के बड़े कर्जदारों के नाम बताने का भी रिवर्ज बैंक ने आग्रह किया था लेकिन बैंक ने सूची जारी नहीं की।
उन्होंने कहा कि बाद में यह मामला सूचना आयुक्त के पास गया लेकिन नाम सामने नहीं आए। सुप्रीम कोर्ट में मुद्दा पहुंचा तो बैंक को जमकर फटकार लगी और नाम सार्वजनिक करने को कहा गया। प्रवक्ता के अनुसार न्यायालय के आदेश के बाद भी बैंक ने बहानेबाजी कर मामले को चार साल तक लटकाए रखा लेकिन पिछले सप्ताह यह मामला फिर न्यायालय के समक्ष आया तो उसने कड़ा रुख अपनाते हुए बैंक को आड़े हाथों लिया और कहा कि यह अवमानना का मामला बन गया है। न्यायालय ने जनहित को देखते हुए बैंक को अंतिम अवसर दिया और कहा कि वह जल्द से जल्द सूची को सार्वजनिक करे।
चुनाव आयोग की चुप्पी पर भड़की कांग्रेस, कहा- आदर्श आचार संहिता बना ‘मोदी कोड ऑफ कंडक्ट’
प्रवक्ता ने कहा कि बैंक को यह बताना चाहिए कि उसे नाम सार्वजनिक करने में दिक्कत क्यों आ रही है। उन्होंने जानना चाहा कि क्या बैंक इस सूची को इसलिए जारी नहीं कर रहा है कि इसमें गुजरात तथा वहां के कोपरेटिव बैंक का नाम है और इसमें कुछ बड़े लोगों के नाम शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक को सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम अवसर दिया है और उसे अब नामों का खुलासा करना ही पड़ेगा लेकिन इस सूची को बताने में चार साल तक किन कारणों से टालमटोल की गई इस बारे में भी रिजर्व बैंक को खुलासा करना चाहिए।