केंद्रीय मंत्रिमंडल और बीजेपी के पूर्व सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों की शंकाओं को दूर करने की अपील की है। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इन कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री से सर्वदलीय मीटिंग बुलाने का भी आग्रह किया है।
रविवार को कृषि कानूनों को लेकर बोलते हुए सुखबीर सिंह बादल ने कहा, बहुत दुख हो रहा है कि केंद्र सरकार ने इन कानूनों (कृषि कानूनों) का हल निकालने के लिए अब तक भी किसान संगठनों या दूसरे राजनीतिक संगठनों के साथ मिलकर कोई तरीका नहीं निकाला। मैं प्रधानमंत्री से विनती करता हूं कि वह सभी संगठनों की मीटिंग बुलाएं और उनकी शंकाओं को सुनो।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, इस मामले में न मुख्यमंत्री कुछ करने को तैयार है, न देश के प्रधानमंत्री कुछ करने को तैयार हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह को दिल्ली जाना चाहिए था। गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब-हरियाणा सहित अन्य राज्यों के किसान आंदोलन कर रहे हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ शिअद ने बीजेपी से अपना 24 साल पुराना नाता तोड़ दिया है। मोदी सरकार के कृषि से जुड़े तीन कानूनों को किसान विरोध बताते हुए शिअद दल से केंद्र में मंत्री पद पर कार्यरत हरसिमरत बादल ने सरकार से इस्तीफा दे दिया। साल 1996 के संसदीय चुनावों के ठीक बाद दोनों दलों में गठबंधन हुआ था। इसके बाद से ही दोनों ने पंजाब में कई दफा सरकार बनाई।
बताया जा रहा है कि अकाली दल लंबे समय से पंजाब में अपने खिसकते जनाधार को लेकर चिंतित थी। केंद्र की मोदी सरकार पर किसान विरोधी नीतियों के लगते आरोपों के बीच पार्टी एनडीए में खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रही थी। इसके बाद कृषि बिलों के पारित होने से दोनों दलों के बीच तल्खी और बढ़ गई। अकाली ने आरोप लगाया कि बीजेपी की मोदी सरकार ने बिलों को पारित करने से पहले उनसे न तो पूछा और न ही उन्हें सूचित किया।