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अयोध्या विवाद में SC ने वरिष्ठ वकील धवन को धमकी देने के मामले में नोटिस जारी किया

धवन ने एक सेवा निवृत्त शिक्षा अधिकारी एन षनमुगम और राजस्थान के रहने वाले संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी

उच्चतम न्यायालय ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव धवन को कथित तौर पर धमकी देने वाले दो लोगों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। 
प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने जमीन विवाद मामले की 18वें दिन की सुनवाई में यह ‘नोटिस’ जारी किया। पीठ अवमानना याचिका की सुनवाई दो सप्ताह बाद कर रही है। धवन ने एक सेवा निवृत्त शिक्षा अधिकारी एन षनमुगम और राजस्थान के रहने वाले संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी।

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उन्होंने याचिका में आरोप लगाया था कि उन्हें मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए धमकियां मिली हैं। पीठ अवमानना के इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद करेगी। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। 
प्रमुख याचिकाकर्ता एम सिद्दीक तथा ऑल इंडिया सुन्नी वक्फ़ बोर्ड की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने पूर्व सरकारी अधिकारी एन षणमुगम और राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी के खिलाफ शुक्रवार को शीर्ष अदालत में अवमानना याचिका दायर की थी। उनका आरोप है कि मुस्लिम पक्षकारों की ओर पैरवी करने की वजह से उन्हें धमकी दी जा रही है। 
उन्होंने आरोप लगाया कि सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी एन. षणमुगम से 14 अगस्त, 2019 को उन्हें एक पत्र मिला, जिसमें उन्हें मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश होने की वजह से धमकी दी गयी थी। धवन ने यह भी कहा है कि उन्हें राजस्थान के निवासी संजय कलाल बजरंगी से व्हाट्सऐप संदेश मिला है और वह भी न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने का प्रयास है। 
उन्होंने आरोप लगाया कि अनेक व्यक्ति धमकी भरे व्यवहार के साथ उन पर न्यायालय परिसर और घर तक टिप्पणी करते रहते हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि इस तरह से पत्र भेजकर कथित अवमाननाकर्ता ने आपराधिक अवमानना की है क्योंकि वह शीर्ष अदालत में एक पक्षकार की ओर से पेश होकर अपने दायित्व का निर्वहन करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता को धमकी दे रहा है और उसे इस तरह का पत्र नहीं लिखना चाहिए था। 
धवन ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि न्यायालय के समक्ष पेश तथ्यों के आधार पर संविधान के अनुच्छेद 129 और न्यायालय की अवमानना कानून की धारा 15 के तहत इसका स्वत: संज्ञान लिया जाये और इन दोनों के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही की जाए। 

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