ऋण पर अधिस्थगन (लोन मोरेटोरियम) को लेकर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 31 अगस्त तक गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) ना हुए लोन डिफॉल्टरों को एनपीए घोषित ना करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 28 सितंबर तक लोन रीपेमेंट मोरेटोरियम को बढ़ा दिया है। मामले में अगली सुनवाई 28 सितंबर को की जाएगी।
जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एम आर शाह की तीन जजों की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मामले की सुनवाई की। आज की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि इस मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है वो भी फाइनल सुनवाई के लिए। इस दौरान सभी अपना जवाब दाखिल करें और मामले में ठोस योजना के साथ आएं।
कोर्ट ने कहा कि 31 अगस्त तक एनपीए ना हुए लोन डिफॉल्टरों को एनपीए घोषित ना करने अंतरिम आदेश जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्ते दिए। सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट से कहा, उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है। राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और चिंताओं की जांच की जा रही है।
केंद्र ने इस मामले में दो हफ्ते का समय मांगा, जिसपर कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और केंद्र को दो हफ्ते में एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और मामले में सुनवाई को अगले दो हफ्ते तक स्थगित कर दिया।