सुप्रीम कोर्ट सोमवार को दिल्ली जल बोर्ड के एक नए आवेदन पर 25 मार्च को सुनवाई के लिये सहमत हो गया। इस आवेदन में हरियाणा सरकार को यमुना नदी में दूषित जल छोड़ने से रोकने एवं राष्ट्रीय राजधानी के लिए समुचित मात्रा में नदी जल छोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रह्मण्यम की पीठ ने मामले को बृहस्पतिवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। इससे पहले वकील शहदान फरासात ने लंबित याचिका में ताजा मध्यस्थता अर्जी (आईए) की जल्द सुनवाई करने का उल्लेख किया। पीठ ने मामले की सुनवाई को 25 मार्च के लिए सूचीबद्ध किया है।
ताजा आवेदन में जल बोर्ड ने कहा है कि न्यायालय हरियाणा सरकार को पानी छोड़ने का निर्देश दे ताकि राष्ट्रीय राजधानी में आशंकित भीषण संकट को टाला जा सके। यह दावा किया गया है कि हरियाणा सरकार ने दिल्ली को बिना शोधित पानी की आपूर्ति घटा दी है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में पानी की किल्लत हो गयी है।
दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष राघव चड्ढा ने इस माह के शुरू में जारी एक बयान में कहा था कि यमुना के जल स्तर में निरंतर गिरावट आना विशेषकर गर्मियों के दिनों में तथा प्रदूषणकारी तत्वों की बढ़ोतरी होना, भारी चिंता का विषय है।यमुना के बिना शोधित पानी को वजीरबाद बैराज में संग्रहीत किया जाता है। वर्तमान में दिल्ली को हरियाणा से 47.9 करोड़ गैलन पानी मिलता है। इसके अलावा दिल्ली नौ करोड़ गैलन भूमिगत जल और 25 करोड़ गैलन ऊपरी गंगा नहर से प्राप्त करती है।