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विपक्ष ने राष्ट्रपति का नहीं बल्कि संविधान पर हो रहे हमलों का विरोध किया : शशि थरूर

शशि थरूर ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को स्पष्ट किया कि कांग्रेस सदस्य, सीएए के विरोध में काली पट्टी बांध कर संयुक्त बैठक में जरूर शामिल हुए थे लेकिन उन्होंने नारेबाजी नहीं की।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने शुक्रवार को शुरू हुए संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान विपक्ष द्वारा विरोध प्रकट करने को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) सहित अन्य अहम मुद्दों की आड़ में संविधान पर हो रहे हमले के विरोध का प्रतीक बताया। 
संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए सीएए और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को ऐतिहासिक बताया। इसके विरोध में कुछ सदस्य नारेबाजी करते सुने गए। थरूर ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं को स्पष्ट किया कि कांग्रेस सदस्य, सीएए के विरोध में काली पट्टी बांध कर संयुक्त बैठक में जरूर शामिल हुए थे लेकिन उन्होंने नारेबाजी नहीं की। 

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उन्होंने कहा ‘‘यह विरोध राष्ट्रपति के खिलाफ नहीं था, क्योंकि राष्ट्रपति वही पढ़ते हैं जो सरकार लिखकर देती है। लेकिन जब संविधान पर इस तरह के हमले हो रहे हों तो हमारे लिए संविधान की रक्षा में यह संदेश देना जरूरी है कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में केन्द्रीय कक्ष की अग्रिम पंक्ति में बैठने के लिए अधिकृत हैं लेकिन फिर भी राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान वह आगे के बजाय बीच की कतार में बैठीं। 
थरूर ने इसकी वजह बताते हुए कहा, ‘‘हम यह संदेश देना चाहते थे कि कांग्रेस सरकार के इन फैसलों का समर्थन नहीं करती है।’’ राष्ट्रपति के अभिभाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए थरूर ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अभिभाषण में हमें एक भी वाक्य ऐसा नहीं लगा जिस पर हम ताली बजा सकें। 
वही पुराने नारे इस बार भी दोहराए गए। अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब है, बेरोजगारी से लोग बेहाल हैं, इस पर अभिभाषण में कोई जिक्र नहीं किया गया। यह बात अच्छी रही कि अभिभाषण सिर्फ एक घंटे में खत्म हो गया क्योंकि सरकार के पास बताने को कुछ नया नहीं था।’’ 

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