सीहोर : मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के किसान गर्मी में भी पानी की कमी को दूर रखने के लिए प्लास्टिक के तालाबों का सहारा ले रहे हैं। राजधानी भोपाल से सटे और जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर गांव झरखेड़ में करीब एक दर्जन प्लास्टिक तालाब साकार रूप ले चुके हैं। साथ ही दो दर्जन से अधिक तालाब निर्माणाधीन हैं।
ये गांव प्रदेश का इकलौता गांव बन गया है, जहां जल सरंक्षण का अछ्वुत नजारा पेश कर किसान प्लास्टिक तालाब से लाभ कमा रहे हैं। सबसे पहले अपने खेत में ऐसे तालाब की नींव रखने वाले युवा किसान मनोहर पाटीदार ने ये तकनीक महाराष्ट्र के पुणे में देखी, जिसके बाद अपने खेत में आधा एकड़ में इसे बनवाया।
निर्माण के बाद तालाब में संग्रहित पानी से उन्होंने अपनी बीस एकड़ जमीन को सिंचित किया। श्री पाटीदार ने बताया कि खेती में होने वाले लाभ के चलते उनके देखादेखी गांव में एक दर्जन तालाब बन चुके हैं। वहीं डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोग अपने-अपने खेतों पर इसे बनवा रहे हैं। उन्होंने उद्यानिकी विभाग के सहयोग से तालाब का निर्माण कराया, जिसके बाद अब वह अपने खेत पर नियमित फसल के साथ सब्जियां भी ले रहे हैं। एक साल के भीतर ही उनके प्लास्टिक तालाब की लागत भी निकल चुकी है।
उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक अशोक कुमार मिश्रा ने बताया कि प्लास्टिक मानक तालाब निर्माण पर विभाग द्वारा किसानों को पचास प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है। जिले में एक दर्जन से अधिक तालाबों का निर्माण हो चुका है और 40 स्वीकृत किए जा चुके हैं। जिले में झरखेड़ के अलावा खामलिया, आष्टा, इछावर और बामलादड़ में प्लास्टिक तालाब का निर्माण चल रहा है। इस तकनीक के तहत जमीन में एक विशेष प्रकार की प्लास्टिक बिछाई जाती है, जिससे पानी जमीन में नहीं जाता और पूरे साल उसकी उपलब्धता बनी रहती है।
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