रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्यसभा चुनाव के बाद सियासी पारा उफान पर नजर आ रहा है। कांग्रेस से निलंबित दो विधायकों द्वारा विधानसभा परिसर में मौजूद रहने के बावजूद मतदान में शामिल रहने के बावजूद वोट नहीं करने पर कार्रवाई की राडार में आ गए हैं। दोनों विधायकों पर अब निष्कासन की तलवार लटक रही है। हालांकि दोनों ही विधायक पहले ही पार्टी से अलग राह चलते हुए क्षेत्रीय दल के साथ जुड़ गए हैं।
वहीं छजकां की ओर से मतदान में शामिल नहीं होने के फैसले के बाद उन्होंने अपने वोट नहीं डाले। पार्टी ने इसे व्हिप का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई का निर्णय लिया है। इस मामले में कार्रवाई की अब केवल औपचारिकता ही बाकी है। नेता प्रतिपक्ष ने संगठन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर इसे अनुशासनहीनता करार दिया। वहीं अनुशासनात्मक कार्रवई की सिफारिश कर दी है। दोनों ही विधायकों ने अपने वोट नहींडाले वहीं परिसर में रहकर मीडिया के जरिए बयानबाजी कर कांग्रेस प्रभारी पर भी आरोप लगा दिए। इसे पार्टी ने गंभीरता से लिया है।
कांग्रेस के दोनों विधायक निलंबन के बाद भी तकनीकी तौर पर पार्टी से जुड़े हुए थे। सदन में उन्होंने कांग्रेस के सदस्य के तौर पर ही माना जाता था। निष्कासन की कार्रवाई के बाद दोनों एक तरह से स्वतंत्र हो जाएंगे। इस मामले में कांग्रेस अब बिना देर किए कार्रवाई करने के मूड में है। हालांकि छजकां ने पूर्व में कांग्रेस प्रत्याशी को ही समर्थन कर वोट देने का ऐलान किया था।
बाद में अपने फैसले से पलटते हुए प्रभारी के बयान का हवाला देकर मतदान नहीं करने का ऐलान कर दिया। इधर छजकां समर्थित दोनों विधायकों के शामिल नहीं होने और वोट नहीं करने पर कांग्रेस ने आरोपों की झड़ी लगाई। कांग्रेस ने कहा कि छजकां एक तरह से प्रदेश में भाजपा की बी टीम के तौर पर काम करती रही है। एक बार फिर वे भाजपा के मददगार के तौर पर सामने आ गए हैं। भाजपा और छजकां की सांठगांठ उजागर हो रही है।