केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को कहा कि पिछले दिनों प्रकाशित वैश्विक भुखमरी सूचकांक भारत की सही तस्वीर को नहीं दर्शाता है, क्योंकि यह भूख का दोषपूर्ण मापदंड है। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा का भारत के लोग इस रिपोर्ट को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि इसके लिए टेलीफोन कॉल के जरिए ऐसे सवाल पूछे गए जिनका खाद्य या आहार ऊर्जा की उपलब्धता से कोई संबंध नहीं है।
क्या आपको कभी भूख लगी थी जब आपने खाना ना खाया हो?..
उन्होंने कहा, ‘‘एक सवाल था…क्या आपको कभी भूख लगी थी जब आपने खाना ना खाया हो?…सामाजिक चुनौती का अवलोकन एक फोन कॉल से हो रहा है…’’ ईरानी ने कहा कि इस रिपोर्ट से लगता है कि नेपाल, श्रीलंका और अफगानिस्तान कोविड-19 महामारी से प्रभावित ही नहीं थे, जो कि सही नहीं है। इसी से संबंधित एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि वैश्विक भूख सूचकांक, 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत का स्कोर 27.5 है और यह 116 देशों में 101वें स्थान पर है।
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यह ना तो उपयुक्त है और ना ही किसी देश में मौजूद भूख का द्योतक है
उन्होंने कहा कि वैश्विक भूख सूचकांक अल्पपोषण, बच्चों के ठिगनेपन, बच्चों के दुबलेपन और बच्चों की मृत्यु दर के चार संकेतकों पर आधारित है। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक भूख सूचकांक भारत की सही तस्वीर को नहीं दर्शाता है। क्योंकि यह भूख का दोषपूर्ण मापदंड है। यह ना तो उपयुक्त है और ना ही किसी देश में मौजूद भूख का द्योतक है।’’ ईरानी ने कहा कि इसके चार संकेतकों में से केवल एक संकेतक अर्थात अल्पपोषण भूख से सीधे संबंधित है।
टेलीफोन पर संचालित सर्वे पर विश्वास किया
उन्होंने कहा कि इस सूचकांक रिपोर्ट में उपयोग किया गया डेटा अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों से लिए गए हैं, जिन्हें देश में उपलब्ध नवीनतम डेटा के अनुसार अद्यतन नहीं किया गया है। ईरानी ने कहा कि अल्पपोषण की स्थिति संकेतक के लिए आंकडे प्रदान करने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने टेलीफोन पर संचालित सर्वे पर विश्वास किया और उसने सरकार द्वारा कोविड-19 के जवाब में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के 80 करोड लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित करने के आर्थिक प्रयास की पूरी तरह से उपेक्षा की है।