कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्ष के विरोध के बीच एक बार फिर शुक्रवार को राज्यसभा की कार्रवाई शुरू हुई। सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा जारी है। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने किसान आंदोलन पर बोलते हुए कहा कि आज जो स्थिति पैदा हुई है, उसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार है।
सदन में अपनी बात रखते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, हम 26 जनवरी की हिंसा के दौरान घायल हुए पुलिस कर्मियों और अधिकारियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हैं। किसी को भी उन पर हमला करने का अधिकार नहीं है जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। लाल किले की घटना ने पूरे देश में स्तब्ध कर दिया है और इसकी जांच होनी चाहिए।
आनंद शर्मा ने कहा, किसानों को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और न्याय पाने के लिए मजबूर होना पड़ा। जो स्थिति पैदा हुई है, उसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार है। मैं विरोध के दौरान मारे गए 194 किसानों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रजातंत्र में एक मत हो, एक विचार हो ये ना संभव है ना स्वीकार्य है। भारत की परंपरा चर्चा और चिंतन की रही है, वाद-विवाद की संवाद की रही है।
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आनंद ने कहा, सरकार के हर निर्णय और नीति को जनता स्वीकार करे और विपक्ष अनुमोदन करे ये ना तो अनिवार्य है और ना ही स्वीकार्य है और यदि ऐसा हो तो हम जनतंत्र नहीं रहे। वहीं कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सितंबर माह में तीनों कृषि कानून पारित किए गए। उन्होंने कहा ‘‘तब भी मैंने इन कानूनों को किसानों का ‘डेथ वारंट’ बताया था। मेरी बात सही निकली। यह कानून कुछ बड़े कारपोरेट घरानों को लाभ देने के लिए लाए गए हैं। ’’
उन्होंने कहा ‘‘कोविड-19 का कहर पूरी दुनिया पर टूटा। अर्थव्यवस्था तबाह हो गई, लोगों की नौकरियां चली गईं, प्रवासी मजदूर बेहाल हो गए। ऐसे में सरकार को इन कानूनों को लाने की क्या जल्दी थी ? क्या कुछ समय तक इंतजार नहीं किया जा सकता था ? ये कानून किसानों के हित में तो हैं ही नहीं। फिर इन्हें जल्दबाजी में अध्यादेशों का रास्ता चुन कर क्यों लाया गया ?’’
बाजवा ने कहा ‘‘1971 में बांग्लादेश के लिए हुई लड़ाई में पाकिस्तान के 93 हजार युद्धबंदी हमारे पास थे। हमने दो साल तक उनके खाने पीने रहने का इंतजाम किया। लेकिन आज आपने अपने ही किसानों का बिजली, पानी बंद कर दिया। यह क्या है ? किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि महात्मा गांधी के देश में यह सब होगा। कल 12 दलों के नेता गाजीपुर गये, उन्हें पुलिस ने अंदर जाने नहीं दिया। क्या यह लोकतंत्र है?’’