देश के चर्चित रोजवैली चिटफंड घोटाले में शुक्रवार, 12 फरवरी को एक विशेष पीएमएलए अदालत ने कंपनी के एक अधिकारी अरुण मुखर्जी को दोषी करार देते हुए इस मामले में पहली सजा सुनाई। मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रोज वैली ग्रुप के अधिकारी अरुण मुखर्जी को सात साल की कैद और साथ ही 2.5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
वित्तीय जांच एजेंसी ने रोज वैली रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन लिमिटेड के चेयरमैन गौतम कुंडू के साथ 2014 में कंपनी से जुड़े अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। अधिकारी ने कहा कि मुखर्जी, जो डिबेंचर ट्रस्टी थे और संबंधित समय में कंपनी के कृत्यों और मामलों के लिए जिम्मेदार थे। उन्होंने कोलकाता में पीएमएलए के तहत विशेष अदालत के समक्ष मनी लॉन्ड्रिंग के लिए दोषी ठहराया गया।
अधिकारी ने कहा कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) में यह आरोप लगाया गया था कि रोज वैली रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन लिमिटेड और इसकी एसोसिएट कंपनियों ने 2001-2002, 2004-2005, 2005-2006 और 2007-2008 में सुरक्षित रूप से गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर मंगाई और प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 49 से अधिक व्यक्तियों को जारी किया गया और इस तरह से अवैध रूप से कुल 12.82 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई।
पीएमएलए के तहत की गई जांच के दौरान यह पता चला है कि आरोपी व्यक्तियों के निर्देशन और नियंत्रण में आरोपी कंपनी ने 2,585 व्यक्तियों से कुल 12 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया और विभिन्न सिक्योरिटीज पर नियंत्रण हासिल किया था।अधिकारी ने कहा कि जो पैसा हासिल किया गया था, उसे विभिन्न चल संपत्तियों में निवेश करके आगे बढ़ाया गया।