पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम से जुड़े मामलों का निष्पादन समय सीमा के अंदर करने का निर्देश दिया है। श्री कुमार ने आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद कक्ष में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत राज्य स्तरीय सतर्कता एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में कहा कि एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों का समय सीमा के अंदर निष्पादन होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पुलिस महानिदेशक, गृह सचिव, पुलिस महानिरीक्षक (कमजोर वर्ग) अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) बैठकर विश्लेषण करें कि लंबित मामलों के निष्पादन में विलंब क्यों हो रहा है। इसमें जिस तरह की बाधा हो उसे तुरंत दूर किया जाये। मुख्यमंत्री ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों को अलग-अलग श्रेणी में बांट कर विश्लेषण करने और मामलों में हुई कार्रवाई की समीक्षा करने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि मामले में आरोप पत्र दाखिल हो चुका है और न्यायालय से अग्रेतर कार्रवाई जल्द हो इसका भी ध्यान रखा जाये।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों में जांच लंबित नहीं रहनी चाहिये। इसके लिये एक समय सीमा निर्धारित की गयी है। पुलिस महानिदेशक इसकी समीक्षा करेंगे। श्री कुमार ने कहा कि महादलित वर्ग के अन्दर अब सभी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को शामिल किया गया है।
इसे देखते हुये उन्होंने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के माध्यम से उन लोगों का सर्वेक्षण कराने का निर्देश दिया जिन्हें अभी रहने के लिए भूमि उपलब्ध नहीं है। मुख्यमंत्री ने वास भूमि के क्रय से संबंधित नीति की भी विस्तृत समीक्षा करने का निर्देश दिया। समीक्षा के क्रम में मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि जिला स्तर पर अनुसूचित जाति-जन जाति अधिकार अधिनियम सतर्कता समिति की बैठक निर्धारित समय सीमा के अन्दर होनी चाहिये। जिला स्तर पर साल में चार बैठकें होनी है इसे सुनिश्चित कराया जाये।
उन्होंने कहा कि जिन जिलों में निर्धारित बैठकें नहीं की गयी हैं उन जिलों के जिलाधिकारी से कारण पूछा जाये। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि वे न सिर्फ अनुसूचित जाति-जनजाति थाने में एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों की समीक्षा करें बल्कि अन्य थानों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की भी समीक्षा करें। मुख्यमंत्री ने मामलों के त्वरित विचारण और दोष सिद्धि दर (कनविक्शन रेट) बढ़ने के उद्देश्य से स्पीडी ट्रायल के लिये गृह सचिव के स्तर पर बैठक आयोजित करने का निर्देश देते हुए कहा कि इस बैठक में पुलिस महानिदेशक,
अपराध अनुसंधान विभाग में पुलिस महानिरीक्षक (कमजोर वर्ग) और निदेशक अभियोजन के साथ लंबित मामलों की समीक्षा की जाये। उन्होंने दोष सिद्धि दर बढ़ने के लिये विधि विभाग, पुलिस महानिरीक्षक (कमजोर वर्ग) एवं निदेशक अभियोजन के साथ विमर्श करने एवं आवश्यक परामर्श निर्गत करने का भी निर्देश दिया। श्री कुमार ने कहा कि दर्ज काण्डों के विभिन्न चरणों जैसे पोस्टमार्टम, फॉरेसिंक जांच और चार्जशीट दायर करने की स्थिति,
ट्रायल, दोष सिद्धि, रिहाई, लंबित मामले, निष्पादन, राहत अनुदान के भुगतान की वास्तविक स्थिति की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिये एक तंत्र विकसित किया जाये। उन्होंने समय-समय पर अधिनियम एवं नियम के प्रावधानों में हुये परिवर्तन को देखते हुये संबंधित पदाधिकारियों को बदले नियम एवं अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण कार्यक्रमों को संचालित करने का निर्देश दिया।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण मंत्री रमेश ऋषिदेव, परिवहन मंत्री संतोष निराला, भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी, सांसद चिराग पासवान, विधायक श्याम रजक, भागीरथी देवी, वीणा भारती, प्रेमा चैधरी, मनीष कुमार, प्रभुनाथ प्रसाद,
ललन पासवान, मनोहर प्रसाद सिंह, मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक के0एस0 द्विवेदी, प्रधान सचिव (गृह) आमिर सुबहानी, अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग के सचिव प्रेम कुमार मीणा, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा और मनीष वर्मा समेत अन्य संबंधित विभागों के प्रधान सचिव, सचिव एवं वरीय अधिकारी उपस्थित थे।
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