सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बायोपिक के प्रदर्शन पर 19 मई तक प्रतिबंध लगाने के निर्वाचन आयोग के आदेश में हस्तक्षेप करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देने वाले बायोपिक के निर्माताओं की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता।
पीठ ने कहा, ‘‘अब इसमें क्या बचा है?’’ निर्माताओं की ओर से पेश हुए वकील ने पीठ से कहा कि निर्वाचन आयोग का आदेश इस केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा फिल्म को दी गई मंजूरी के विपरीत है। पीठ ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि क्या फिल्म इस समय दिखाई जा सकती है। निर्वाचन आयोग ने फैसला कर लिया है। हम इस बारे में सुनवाई नहीं करना चाहते।’’
आयोग ने पूरी फिल्म देखने के बाद 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को सीलबंद लिफाफे में 20 पेज की रिपोर्ट में अपने विस्तृत निर्णय से अवगत कराया था। आयोग का कहना था कि इस फिल्म के प्रदर्शन से चुनाव प्रचार के दौरान संतुलन बिगड़ जायेगा। आयोग ने कहा था कि यह बायोपिक एक ऐसे राजनीतिक माहौल को जन्म देती है जिसमें एक व्यक्ति का महिमा मंडन किया गया है और आचार संहिता लागू होने के दौरान इसका सार्वजनिक प्रदर्शन एक राजनीतिक दल विशेष का पक्ष लेगा।
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आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि बायोपिक जीवन पर आधारित फिल्म से भी कहीं अधिक है और इसमें केन्द्र बिन्दु के तौर पर शामिल व्यक्ति को विशेष प्रतीकों, नारों और दृश्यों के माध्यम से ऊंचे पायदान पर दर्शाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को आयोग को निर्देश दिया था कि वह पूरी फिल्म देखने के बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपे।