सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लिव-इन में रह रहे लोगों के लिए बहुत ही अहम फैसला सुनाया है, एससी के मुताबिक बिना शादी के लंबे समय तक साथ रहने वाले जोड़े की संतान भी पारिवारिक संपत्ति या पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी की हकदार है। सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को उलटते हुए कहा की बिना शादी के साथ रह रहे कपल के बच्चे को भी अपने पिता की प्रॉपर्टी में हक दिया जाएगा।
SC ने पलटा केरल हाई कोर्ट का फैसला
केरल हाई कोर्ट ने हालही में बिना शादी के साथ रहने वाले जोड़े के कथित नाजायज बेटे को प्रॉपर्टी में हिस्सा देने के दावे को खारिज कर दिया था, वहीं सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि शादी का फैसला करने से पहले जोड़े ने अपने रिश्ते को बनाने के लिए बहुत लंबे समय तक सहवास (लिव इन) किया। एक विवाहित जोड़े के रूप में यह अच्छा है और इसलिए उनका बेटा पिता की प्रॉपर्टी में उचित हिस्से का हकदार है।
SC ने सुलझाया 40 साल पुराना विवाद
ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और एससी के बीच चल रहे 40 साल पुराने विवाद को सुलझाते हुए बेंच ने दंपति के बेटे को पिता की प्रॉपर्टी में उचित हिस्सा देने के पक्ष में फैसला सुनाया है। एससी ने कहा कि यह साफ़ है कि अगर कोई पुरुष और महिला पति-पत्नी की तरह एक साथ रहते हैं तो उनके इस लिव इन को शादी की तरह ही माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि इस तरह का अनुमान साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।
केरल हाई कोर्ट ने दिया था यह फैसला
बता दें कि निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि पहला वादी दामोदरन का बेटा था। हालांकि, दस्तावेज साबित कर सकते हैं कि याचिकाकर्ता दंपत्ति का पुत्र है, लेकिन वह वैध पुत्र नहीं है। एचसी ने कहा कि याचिकाकर्ता की स्थिति एक नाजायज बच्चे की है। यही कारण है उसे पिता की संपत्ति में हिस्से के लिए हकदार नहीं माना जाएगा। क्योंकि उसके माता-पिता के बीच वैध विवाह नहीं था।