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नाबालिग से गैंगरेप के दोषी को सुनाई गई फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, जानें पूरा मसला

देश की सर्वोच्च अदालत, उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में 2018 में सात वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में एक व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर रोक लगा दी है।

देश की सर्वोच्च अदालत, उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश में 2018 में सात वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार के मामले में एक व्यक्ति को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति यू यू ललित , न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने मौत की सजा की पुष्टि करने वाले मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पिछले साल सितंबर के फैसले के खिलाफ दायर दोषी की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामला लंबित रहने तक दोषी को सुनाए गए मृत्युदंड की तामील पर रोक लगी रहेगी। 
मनोवैज्ञानिक रिपोर्ट का आकलन करने के बाद  
न्यायालय ने कहा कि दोषी की मनोवैज्ञानिक आकलन रिपोर्ट उसके सामने पेश की जाए। न्यायालय ने निर्देश दिया कि जेल में रहते हुए याचिकाकर्ता द्वारा किए गए कार्यों की प्रकृति के बारे में संबंधित जेल प्रशासन की रिपोर्ट पेश की जाए। पीठ ने 14 फरवरी के आदेश में कहा, ‘‘मामले की सुनवाई लंबित रहने तक याचिकाकर्ता को सुनाई गई मौत की सजा की तामील पर रोक लगी रहेगी। इस बारे में संबंधित जेल को तत्काल सूचित किया जाए।’’ निचली अदालत ने इस मामले में याचिकाकर्ता और एक अन्य को मृत्युदंड सुनाया था, जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। 
पीठ ने कहा कि राज्य सुनवाई की अगली तारीख से पहले याचिकाकर्ता से संबंधित सभी परिवीक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट उसके सामने पेश करे। न्यायालय ने मामले की सुनवाई 22 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। बच्ची की एक रिश्तेदार ने जून 2018 में मंदसौर के एक पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि बच्ची दिन में कक्षा समाप्त होने के बाद स्कूल परिसर से लापता है। बच्ची अगले दिन घायल अवस्था में मिली थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद बच्ची ने पुलिस को बताया था कि उसे सुनसान जगह पर ले जाकर उससे बलात्कार किया गया था।

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