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UP Election: करहल के सियासी दंगल में दो सांसदों के बीच विधायक बनने की होड़, अखिलेश और बघेल में कौन मारेगा बाजी

उत्तर प्रदेश में रविवार को 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान चल रहा है लेकिन सबकी निगाहें जिस सीट पर लगी है , वह सीट है करहल विधानसभा।

उत्तर प्रदेश में रविवार को 16 जिलों की 59 विधानसभा सीटों पर मतदान चल रहा है लेकिन सबकी निगाहें जिस सीट पर लगी है , वह सीट है करहल विधानसभा। करहल विधानसभा, भौगोलिक तौर पर मैनपुरी जिले का हिस्सा है लेकिन यह मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई से बिल्कुल लगा हुआ है और पिछले कई दशकों से मुलायम परिवार और समाजवादी पार्टी का गढ़ बना हुआ है। 
बता दें कि इसी करहल विधानसभा से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं जो अपने गठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी है। वहीं अखिलेश यादव को उनके ही गढ़ में घेरने की रणनीति के तहत भाजपा ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को उनके खिलाफ उतारा है। बघेल एक जमाने में मुलायम सिंह यादव के करीबी रह चुके हैं। 
बसपा को छोड़ कर अन्य सभी दलों ने मैदान खाली छोड़ दिया है 
करहल की यह लड़ाई राजनीतिक तौर पर इतनी दिलचस्प हो गई है कि बसपा को छोड़ कर अन्य सभी दलों ने मैदान खाली छोड़ दिया है। करहल से सिर्फ 3 उम्मीदवार ही चुनाव लड़ रहे है। सपा के अखिलेश यादव और भाजपा के एसपी सिंह बघेल के बीच चल रही चुनावी लड़ाई में बसपा उम्मीदवार के तौर पर कुलदीप नारायण भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए चुनावी मैदान में है। 

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करहल विधानसभा , सैफई गांव , इटावा और मैनपुरी जिले के साथ पूरे उत्तर प्रदेश के लोगों और नेताओं की नजरें करहल पर लगी हुई है। भाजपा करहल में नंदीग्राम और अमेठी का इतिहास दोहराना चाहती है वहीं सपा इस सीट को जीतकर किसी भी तरह से अपना गढ़ बचाना चाहती है। भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता , योगी आदित्यनाथ के कामकाज , सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की संख्या के साथ-साथ अपने बूथ मैनेजमेंट पर भरोसा है तो वहीं सपा को अपने कट्टर समर्थकों पर। 
अखिलेश और बघेल के अपने-अपने दावे  
अखिलेश यादव करहल विधानसभा के साथ-साथ पूरे उत्तर प्रदेश को जीतने का दावा कर रहे हैं। उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे एसपी सिंह बघेल का यह दावा है कि जिस तरह से पिछले चुनावों में फिरोजाबाद, कन्नौज और बंदायू जैसे सपा के गढ़ ढहे हैं, उसी तरह से इस चुनाव में करहल का किला भी ढ़हने जा रहा है और भाजपा यहां से भी चुनाव जीत रही है। अखिलेश यादव से नाराज होकर अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव ( इस बार वो अखिलेश यादव के साथ है ) हो या सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव , दोनों ही करहल से एक लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से अखिलेश यादव के जीतने का दावा कर रहे हैं। करहल विधानसभा चुनाव , इस मायने में भी दिलचस्प बन गया है कि यहां से 2 सांसद , विधायक बनने के लिए एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।  
अखिलेश आजमगढ़ से सांसद, तो बघेल आगरा से सांसद है 
अखिलेश यादव वर्तमान में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से लोक सभा सांसद है तो वहीं एसपी सिंह बघेल आगरा से लोक सभा सांसद है। दोनों ही वर्तमान में सांसद है और करहल की जनता जिसे भी अपना विधायक चुनेगी, उसका असर पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर पड़ना तय है। यही वजह है कि आम लोगों की ही नहीं बल्कि देश के कई राजनीतिक दलों की निगाहें भी इस सीट पर लगी हुई है। करहल सीट का यह महत्व यहां के चुनावी माहौल में भी साफ-साफ नजर आ रहा है। इसलिए शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रशासन ने भी खास तैयारी की है।  
करहल विधानसभा क्षेत्र के 352 मतदान केंद्र 
करहल विधानसभा क्षेत्र के 352 मतदान केंद्र के कुल 475 बूथों में से 363 संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों पर लाइव प्रसारण अर्थात वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई है। इन 363 बूथों पर चल रहे मतदान की निगरानी इंटरनेट और कैमरों के माध्यम से सीधे राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग द्वारा की जा रही है। इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्र के 22 बूथों पर वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। जाहिर है कि करहल के 3.71 लाख से ज्यादा मतदाता इस बार सिर्फ अपना विधायक चुनने के लिए ही मतदान नहीं कर रहे है बल्कि उनका वोट इस बार प्रदेश की राजनीति को भी बदलने में निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है।

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