नागरिकता संशोधन को लेकर जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में मचे बवाल का मुद्दा आज सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने इस मामले को लेकर सीजेआई की बेंच से स्वत: संज्ञान लेने को कहा है। अधिवक्ता ने कहा कि यह मानवाधिकार का मामला है और बेहद गंभीर है।
सीजेआई बोबडे ने कहा, ‘हम अधिकारों का निर्धारण करेंगे लेकिन दंगों के माहौल में नहीं, इस सब को बंद हो जाने दीजिए और फिर हम इसपर स्वत: संज्ञान लेंगे। हम अधिकारों और शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ नहीं हैं।’ सीजेआई बोबडे ने जामिया हिंसा मामले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्योंकि वे स्टूडेंट्स हैं, इसका मतलब ये नहीं कि वे कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले लेंगे। हिंसा रूक जाएगी, तभी हम इस मामले को सुनेंगे।
इस मामले में अगली सुनवाई मगलवार को होनी है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ झड़प हो गई, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने डीटीसी की चार बसों और दो पुलिस वाहनों में आग लगा दी।
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झड़प में छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मी समेत करीब 60 लोग घायल हो गए। पुलिस ने भीड़ को खदेडने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन उन पर गोलियां चलाने की बात से इनकार किया है। हालांकि, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें कथित तौर पर पुलिस गोलीबारी करती हुई, विश्वविद्यालय के बाथरूम में घायल छात्र, और लहुलुहान हालत में छात्र दिखाई दे रहे हैं।
वहीं दिल्ली पुलिस ने झड़पों के दौरान किसी के हताहत होने की खबरों से इनकार किया है। सड़कों पर आगजनी के बाद पुलिस जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में घुस गई जहां हिंसा में कथित तौर पर शामिल कई लोगों को हिरासत में लिया था।