संसद के मानसून सत्र के दौरान उच्च सदन में ‘‘अशोभनीय आचरण’’ को लेकर शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किए गए राज्यसभा के 12 सांसदों का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विरोधी दलों ने सदन के अंदर और बाहर सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोल रखा है। विरोधी दलों के इस रवैये के खिलाफ बुधवार को भाजपा के राज्यसभा सांसदों ने संसद भवन परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।
सांसद अपनी गलती के लिए माफी तक मांगने को तैयार नहीं हैं
विरोध प्रदर्शन में शामिल भाजपा सांसद लगातार विरोधी दलों के खिलाफ नारे लगा रहे थे। प्रदर्शन में शामिल भाजपा राज्य सभा सांसद रूपा गांगुली ने विरोधी दलों के 12 राज्य सभा सांसदों के रवैये पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि ये सांसद अपनी गलती के लिए माफी तक मांगने को तैयार नहीं हैं। इन सबको व्यक्तिगत तौर पर माफी मांगनी चाहिए , क्योंकि ये ऐसे संसद का अपमान नहीं कर सकते हैं।
विरोधी दल जिस तरह से सदन की मर्यादा को गिराने का काम कर रहे…
भाजपा राज्य सभा सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि विरोधी दल लगातार सदन के अंदर प्रश्नकाल, शून्य काल को बाधित कर रहे हैं और विधेयकों पर चर्चा नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि विरोधी दल जिस तरह से सदन की मर्यादा को गिराने का काम कर रहे हैं। उसके विरोध में यह हमारा नैतिक विरोध प्रदर्शन है। हमारी मांग है कि संसद, जो तर्क का स्थान है, वहां विरोधी दल ताकत का प्रदर्शन न करे।
ये है 12 निलंबित सदस्य
जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।