वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) प्रणाली बहुत ही छोटे समय में स्थिर हो गई है जिससे इसके आधार के विस्तार और भविष्य में दरों को और युक्तिसंगत बनाए जाने की गुंजाइश बनी है।
अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस 2018 के अवसर पर एक समारोह में अरुण जेटली ने कहा, “जीएसटी से देश के भीतर अप्रत्यक्ष करों का पूरा कर ढाचा बदल गया है।”
उन्होंने कहा, “भारत ने दुनिया के और देशों के मुकाबले बहुत ही कम समय में इसे अपना लिया है।” जेटली की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब कुछ दिनों पूर्व केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि जीएसटी के अमल में आने के बाद कर संग्रह में लगातार दो महीने की गिरावट रही, लेकिन अब कर संग्रह में जोरदार तेजी आई है। नवंबर में जीएसटी संग्रह 80,808 करोड़ रुपये हुआ था, जबकि दिसंबर में 86,703 करोड़ रुपये दर्ज किया गया।
जेटली ने जीएसटी दरों में और कटौती का संकेत देते हुए कहा कि जीएसटी ढांचे के स्थापित होने के बाद सरकार के पास इसका आधार बढ़ाने और इसके ढाचे के युक्तिसंगत बनाने के अवसर होंगे।
जीएसटी परिषद ने 18 जनवरी की बैठक में 54 सेवाओं और 29 वस्तुओं पर जीएसटी दर घटाने का निर्णय लिया था। इससे पहले 10 नवंबर, 2018 की बैठक में परिषद ने उच्चतम जीएसटी दर 28 फीसदी की श्रेणी से 178 मदों को हटा दिया था। साथ ही, सितारे की उपाधि वाले होटलों के बाहर सभी रेस्तराओं पर कर की दर घटाकर पांच फीसदी कर दी गई थी।
वित्तमंत्री ने कहा कि आयकर का आधार बड़ा हो गया है, क्योंकि इसमें विस्तार करना ही है। उन्होंने कहा कि कुछ चुनिदा समूहों से उच्च दर से कर वसूल करने की जो परंपरा रही है, उसमें बदलवा किया गया है।
बता दे कि वित्त मंत्री ने कहा कि कई दूसरे देशों की तुलना में भारत में जीएसटी प्रणाली बहुत ही कम समय में ही स्थिर हो गई है। इसलिए हमारे पास अवसर है कि हम आने वाले समय में जीएसटी के आधार को बढ़ाएं और ढांचे को और अधिक युक्तिसंगत बनाएं। अपरोक्ष रूप से वित्त मंत्री ने करों में कमी के संकेत दिए।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जीएसटी में टैक्स की चार स्तर की दरें लागू है। ये दरें पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की है। जीएसटी काउन्सिल की नवंबर में हुई बैठक में 28 प्रतिशत की उच्चतम सीमा अहितकर और विलासिता की चीजों के लिए लागू कर 200 से अधिक वस्तुओं की दरों में कमी की गई थी। 178 प्रकार की वस्तुओं को 28 प्रतिशत के दायरे से निकाल कर 18 प्रतिशत की श्रेणी में और 13 प्रकार की वस्तुओं को 18 प्रतिशत की जगह 12 प्रतिशत वाली श्रेणी में शामिल किया था।
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