दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवादी या अन्य हमलों में जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों के संबंध में खबर देते समय मीडिया को ‘‘मारे गये’’ की जगह ‘‘शहीद हुए’’ शब्द का इस्तेमाल करने का आदेश देने की मांग वाली याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने एक वकील की इस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने यह याचिका दायर करने वाले वकील की खिंचाई की।
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अभिषेक चौधरी द्वारा दायर याचिका में ड्यूटी पर जान गंवाने वाले अर्द्धसैनिक बल के जवानों को शहीद का दर्जा देने की मांग की गई। यह याचिका 2016 में उच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई थी।
मंगलवार को आवेदन खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि एक वकील ने यह याचिका दायर की जबकि उन्हें पता है कि इस तरह की याचिका पहले ही खारिज की जा चुकी है।
याचिका में जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले का जिक्र करते हुए कहा गया था कि जवानों के जान जंवाने की खबरों के संबंध में मीडिया को शहीद जैसे सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए, ‘‘मारे गये’’ जैसे शब्द नहीं।