भारतीय दर्शन परम्परा में विशिष्टाद्वैत दर्शन के प्रणेता, पूज्यनीय स्वामी रामानुजाचार्य जी की जन्म जयंती के अवसर पर, आचार्य की पुण्य स्मृति को विनम्र प्रणाम करता हूं। #Ramanujacharya pic.twitter.com/JvFbuRbuAI
— Vice President of India (@VPSecretariat) April 28, 2020
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आदि शंकराचार्य जी ने देश के चारों कोनों की व्यापक यात्रायें कीं, समकालीन विद्वानों से विचार विमर्श किया तथा भारत की आध्यात्मिक और ज्ञान परम्परा की एकता को स्थापित किया। अपने दर्शन को आचार्यों से गंभीर शास्त्रार्थों की कसौटी पर परखा।’’
रामानुजाचार्य जी के विशिष्टाद्वैत सिद्धांत ने हमारे भक्ति आंदोलन को दृढ़ आध्यात्मिक दार्शनिक आधार प्रदान किया, कालांतर में इस परम्परा को रामानंद और भक्तिकाल के महान कवि संतों ने समृद्ध किया।
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उपराष्ट्रपति ने प्राचीन भारतीय दार्शनिक रामानुजाचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा, ‘‘रामानुजाचार्य जी ने ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति के संबंधों की आध्यात्मिक व्याख्या की तथा मानव और प्रकृति दोनों में ईश्वर का अंश देखा, प्रकृति में ईश्वरीय दिव्यता के दर्शन किए और अपने अनुयायियों से प्रकृति की इस दिव्यता को अक्षुण्ण रखने का आग्रह किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘रामानुजाचार्य जी के विशिष्टाद्वैत सिद्धांत ने हमारे भक्ति आंदोलन को सुदृढ़ आध्यात्मिक एवं दार्शनिक आधार प्रदान किया। कालांतर में इस परंपरा को रामानंद और भक्तिकाल के महान कवि संतों ने समृद्ध किया।’’