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पाकिस्तान द्वारा गिलगिट बाल्टिस्तान पर किये जा रहे झूठे दावे का सच आज़ादी से जुड़ा

1947 में 31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया

भारत के विरोध करने के बावजूद पाकिस्तान अवैध कब्जे वाले गिलगिट बाल्टिस्तान में चुनाव करने को उतारू है जिसको लेकर नेशनल असेंबली के स्पीकर असद कैसर ने सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है वहीँ इस बैठक का विपक्षी दलों ने बहिष्कार करने का एलान किया है। अभी पिछले ही हफ्ते पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने 15 नवंबर को इस क्षेत्र में चुनाव कराने कराने की घोषणा की थी। 
पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक बैठक के बहिष्कार की आधिकारिक रूप से घोषणा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो-जरदारी ने की। इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से नवगठित गठबंधन की रणनीति पर चर्चा की। बता दें कि विपक्षी दलों का यह गठबंधन इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के मकसद से बनाया गया है।
बता दें कि गिलगिट-बाल्टिस्तान में बीते 18 अगस्त को ही विधानसभा चुनाव कराया जाना था, लेकिन कोरोना महामारी के संक्रमण चलते इस तारीख को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया, लेकिन हाल में कश्मीर और गिलगिट-बाल्टिस्तान मामलों के मंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा था कि प्रधानमंत्री इमरान खान जल्द ही इस क्षेत्र को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का एलान करेंगे। इसके बाद गिलगिट-बाल्टिस्तान को एक पूर्ण राज्य के तौर पर सभी संवैधानिक अधिकार मिल जाएंगे।
अब बात करते भारत और पाकिस्तान के बीच जारी गिलगिट- बाल्टिस्तान के विवाद पर, दरअसल यह विवाद स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही चला आ रहा है क्योंकि पाकिस्तान शुरुआत से ही कश्मीर पर अपना दावा करता रहा है और कश्मीर के पश्चिमी सिरे पर गिलगिट और दक्षिणी सिरे पर बाल्टिस्तान मौजूद है तथा यह दोनों ही क्षेत्र 1947 के समय से ही पाकिस्तान के कब्जे में है. 
वहीँ आपको बता दें कि भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर रियासत का ही हिस्सा हुआ करता था. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके को अंग्रेजों ने वहां के महाराजा से साल 1846 से लीज पर ले रखा था. ये इलाका इतनी ऊंचाई पर मौजूद है कि यहां से निगरानी रखना आसान था. यहां गिलगित स्काउट्स नाम की सेना की टुकड़ी को तैनात किया गया था. जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो इसे जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को यह क्षेत्र वापस कर दिया गया. इसके बाद हरि सिंह ने ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहां का गवर्नर बनाया पर गिलगित स्काउट्स वहीं तैनात रही. उस समय स्काउट्स फौज के ज्यादातर अधिकारी अंग्रेज ही हुआ करते थे. 
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आज़ादी के बाद जब पाकिस्तान नाम का नया देश बना तो पाकिस्तान ने कश्मीर पर अपना दावा पेश करना शुरू कर दिया, इसी के परिणामस्वरूप पाकिस्तानी फ़ौज ने कश्मीर पर आक्रमण किया और फ़ौज के हमले के डर से वहां हिन्दू शासक हरि सिंह ने भारत से मदद की गुहार लगाई इस तरह 1947 में  31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए और गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में मौजूद स्कॉउट्स फ़ौज ने इस समझौते को नहीं माना. वहां फौज ने गवर्नर घंसार सिंह को जेल में डाल दिया. वहां के अंग्रेज फौजी अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को मिलाने का समझौता कर लिया और 2 नवंबर 1947 को गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया गया. पाकिस्तान की सरकार ने सदर मोहम्मद आलम को यहां का नया प्रशासक नियुक्त कर दिया इस तरह से यह क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में चला गया. 1949 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तानी सरकार के बीच हुए कराची समझौते के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान को सौंप दिया गया.
साल 1970 में इसे एक अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया और इसका नाम नॉर्दन एरिया रखा गया. 2007 में वापस इसका नाम बदलकर गिलगित-बाल्टिस्तान कर दिया गया. पाकिस्तान में चार राज्य हैं जिनमें पंजाब, खैबर पख़्तून, बलोचिस्तान, और सिंध है. इसके अलावा पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को स्वायत्त इलाके का दर्जा दिया गया है. 2009 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 जारी किया.
इस कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विधानसभा बनाने और गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल बनाने के आदेश दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान में मुख्यमंत्री और गवर्नर दोनों होते हैं. किसी भी मामले का अंतिम फैसला लेने का अधिकार गवर्नर के पास सुरक्षित है. हालांकि सारे जरूरी फैसले लेने का अधिकार गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल के पास है. इसके अध्यक्ष पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते हैं. 2009 के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में तीन मुख्यमंत्री रहे हैं. 30 अप्रैल को पाकिस्तानी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों के एक बेंच ने अपने आदेश में यहां 2017 के चुनाव कानून के तहत संबंधित कानून बदल कर कार्यकारी सरकार बनाने और चुनाव करवाने के आदेश थे. इस फैसले में 2018 में गिलगित-बाल्टिस्तान को दी गई कई छूटों में भी कटौती की गई थी और इसी के साथ इस फैसले में यह भी कहा गया कि यहाँ के सभी फैसले राष्ट्रपति के अध्यादेश से किए जाएंगे.
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भारत का पक्ष इस मामले में बिलकुल साफ़ है क्योंकि भारत कई बार पाकिस्तान को यह साफ शब्दों में बता चुका है कि गिलगिट-बाल्टिस्तान पर उसका कोई अधिकार नहीं है। यह पूरा क्षेत्र समेत केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पूरा इलाका भारत का अभिन्न अंग है, जिसे पाकिस्तान बिलकुल भी मानने को तैयार नहीं है। 

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