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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी श्रम कानून में सुधारों से संबंधित तीन प्रमुख विधेयकों को मिली मंजूरी

श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करने की सिफारिश वर्ष 2003-04 में संसदीय समिति ने की थी लेकिन अगले 10 वर्ष 2014 तक इस पर कोई काम नहीं हो सका।

विपक्षी दलों की गैर मौजूदगी में राज्यसभा ने श्रमिकों के कल्याण और उनके अधिकारों को मजबूत करने वाले सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, विधेयक 2020 बुधवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ इन तीन विधेयकों पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है।
सदन में तीनों विधेयकों की संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समाहित करने की सिफारिश वर्ष 2003-04 में संसदीय समिति ने की थी लेकिन अगले 10 वर्ष 2014 तक इस पर कोई काम नहीं हो सका। वर्ष 2014 में इस दिशा में फिर से काम शुरू हुआ और चार संहिताओं को संसदीय समितियों के पास भेजा गया। इस समिति के 74 प्रतिशत सिफारिशों को इन विधेयकों में शामिल कर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि इन विधेयकों को नए भारत की जरुरतों के अनुरुप बनाया गया है। श्रमिकों से हड़ताल का अधिकार वापस नहीं लिया गया है। चौदह दिन के नोटिस व्यवस्था विवाद सुलझाने के लिए की गयी है। विवादों के समाधान के पुख्ता व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कहा कि संस्थानों के लिए 300 कर्मचारियों की सीमा तय करने से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। प्रवासी मजदूरों की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों से राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं होगा। अपनी परिस्थितियों के अनुसार सभी राज्य इन कानूनों में बदलाव कर सकेंगे।

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