श्योपुर : शासकीय कार्यों में कितनी लेट-लतीफी होती है। इसकी एक छोटी सी वानगी उन तीन रोडों से मिलती है, जो सवा साल से बनना तो दूर टेंडर कॉल करने में ही निकल गया। लेकिन विडंबना की बात यह है कि अब तक कोई ठेकेदार इन रोडों को बनाने के लिए आगे नहीं आया है। यही वजह है कि उक्त रोडों का काम अगले सीजन तक पिछड़ता नजर आ रहा है! कुल मिलाकर अजापुरा-आवदा-गोरस मार्ग,विजयपुर का फोरलेन मार्ग एवं इकलोद मार्ग अधर में लटका हुआ है।
उल्लेखनीय है कि मप्र सड़क विकास प्राधिकरण ने सबसे पहले अजापुरा-गोरसमार्ग 34.23 किमी, इकलोद मार्ग 6 किमी के लिए गत वर्ष 31 जनवरी 2017 को टेंडर कॉल किए थे। चूंकि बाद में उक्त कामों में इकलोद तिराहे से गांधी चौक विजयपुर तक का 4 किमीफोर लेन मार्गभी जुड गया था, जिस कारण टेंडर डालने की तिथि को 14 फरवरी 2017 तक आगे बढ़ा दिया गया था। लेकिन एमपीआरडीसी को तब निराशा हाथ लगी, जब 96 करोड 9 लाख 41 हजार रूपए के इन तीनों कामों के लिए किसी भी ठेकेदार ने रूचि नहीं दिखाई।
नतीजा टेंड रकॉल की प्रक्रिया स्वत:ही निरस्त हो गई। साढे सात माह की लेट-लतीफी के बाद एमपीआरडीसी ने उक्त तीनों कामों के फिर से23 अक्टूबर 2017 को टेंडर कॉल किए, लेकिन चिंतनीय बात यह रही कि इस बार भी किसी ठेकेदार ने टेंडर नहीं डाले। परिणामस्वरूप यह प्रक्रिया भी निरस्त हो गई।
एमपीआरडीसी ने तीसरी बार18 जनवरी 2018 को फिर टेंडर कॉल किए, लेकिन चिंतनीय विषय यह रहा कि इस दफा भी कोई ठेकेदार रोड बनाने के लिए आगे नहीं आया। अब चौथी बार टेंडर कॉल करने की तैयारी है, किन्तु इस बार भी कोई ठेकेदार इन रोडों को बनाने आगे आएगा। इसमें संदेह है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की मानें तो उक्त तीनों रोड सीसी बनने की वजह से कोई ठेकेदार इसमें रूचि नहींदिखा रहा है,क्योंकि इतने बडे कार्यों के लिए इतना ताम-झाम ग्वालियर-चंबल संभाग के किसी ठेकेदार के पास नहीं है और जिनके पास है,वे पहले से ही बुक हैं। इस तरह उक्त तीनों काम अधर में लटके हुए हैं। जानकारों का मानना है कि अब यह प्रक्रिया अगले सीजन में ही आगे बढे़गी। इसकी वजह तीन महीने बाद मानसून आ जाना है। जबकि टेंडर प्रक्रिया में ही इतना वक्त लग जाएगा।
अधिक जानकारियों के लिए यहाँ क्लिक करे