आज वित्त मंत्री अरुण जेटली लोकसभा में बजट पेश कर रहे है वही देशभर में ई-वे बिल भी लागू कर रही है, जिससे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन जिन्हें व्यापारिक परिवहन का यह प्रपत्र प्रयोग करना है यानि व्यापारियों को यह मंजूर नहीं है। वहीं, जिला स्तर पर भी बिल को सही तरीके से लागू करने के लिए सेल्स टैक्स विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। जीएसटी लागू होने के बाद से कुछ उद्यमी और व्यापारी टैक्स नहीं चुका रहे हैं। बिल काटने के बाद भी उसे रिटर्न में दिखाया नहीं जा रहा है। इससे टैक्स चोरी की आशंका काफी बढ़ गई है। इसी वजह से ई-वे बिल को लागू किया गया है, जिससे ऐसे लोगों को भी सिस्टम में लाया जा सकेगा। इस नियम से माल की आवाजाही पर नजर आसानी से रखी जा सकेगी।
सेल्स टैक्स विभाग के डिप्टी एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर (साउथ) आर. आर. नैन ने बताया कि 50 हजार रुपये से ऊपर के बिल पर ही ई-वे बिल लागू होगा। इस बिल की वैधता दूरी के हिसाब से तय होगी। साथ ही, इसमें माल पर लगने वाले जीएसटी की पूरी जानकारी होगी। ई-वे बिल से पता लगेगा कि सामान का जीएसटी चुकाया गया है या नहीं। एक बार बिल कटने पर सारा सामान जीएसटी के अंतर्गत आ जाएगा। हालांकि 24 घंटे में बिल को कैंसल किया जा सकता है, लेकिन अगर सेल्स टैक्स विभाग इंस्पेक्टर ने माल को चेक कर लिया तो बिल कैंसल नहीं होगा। कारोबार के लिहाज से 50 हजार रुपये का माल ज्यादा नहीं होता, जबकि ई-वे बिल के नियमों से छोटे कारोबारी अभी परिचित भी नहीं हैैं।
हालांकि जीएसटी अधिकारी ई-वे बिल की हर दुविधा के समाधान का दावा कर रहे हैैं, लेकिन व्यापारी आशंकित हैैं कि लंबे-चौड़े नियम
कानून के बीच उनसे कोई चूक हो गई तो मदद का दावा करने वाले अधिकारी ही निर्ममता से जुर्माना वसूलने में कसर नहीं छोड़ेंगे। कारोबार के पुराने तौर-तरीकों में बड़े पैमाने पर नंबर दो का माल बिना कागजातों के लाया-ले जाता था और पकड़ा भी जाता था। एक प्रपत्र को कई बार इस्तेमाल कर लिया जाता था, लेकिन ई-वे बिल की व्यवस्था में यह तिकड़म संभव नहीं होगा। पोर्टल से ई-वे बिल जेनरेट होगा और इसे एक बार से अधिक प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। अधिकारियों के मुताबिक कुछ लोगों द्वारा ई-वे बिल के विरोध का एक कारण यह भी है कि इस व्यवस्था में कोई धांधली नहीं चल सकेगी।
माल का प्रत्येक परिवहन जीएसटी की निगरानी में होगा और इसी मुताबिक टैक्स की गणना कर वसूली की जाएगी।दूसरी तरफ व्यापारियों का कहना है कि जिलों में ई-वे बिल का प्रशिक्षण अभी पूरा नहीं हुआ है, इसलिए जल्दबाजी में इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। व्यापारी नेता बनवारीलाल कंछल के मुताबिक बड़े पैमाने पर व्यापारियों को अब भी यह पता नहीं है कि ई-वे बिल कैसे जेनरेट करना है। शहरों के भीतर छोटी दूरी के परिवहन पर भी ई-वे बिल की शर्त लागू किए जाने को कंछल लूट का जरिया मान रहे हैैं। उनकी आशंका है कि ई-वे बिल की सख्ती के नाम पर कारोबारियों का बड़े पैमाने पर उत्पीडऩ किया जा सकता है। व्यापारियों के अन्य संगठन भी ई-वे बिल के विरोध में हैैं।
100 किमी की दूरी के लिए ई-वे बिल की प्रस्तावित वैधता एक दिन की होगी, जबकि 200 किमी दूर सामान भेजने के लिए बनाया गया ई-वे बिल 2 दिन तक वैलिड होगा। इसी तरह 300 किमी की दूरी के लिए ई-वे बिल की वैधता 3 दिन की होगी और 1000 किमी की दूरी के लिए ई-वे बिल की वैधता 10 दिन की होगी। इसी तरह प्रतिदिन के हिसाब से हर 100 किलोमीटर पर बिल की वैधता बढ़ती जाएगी। हालांकि माल लाते या ले जाते समय अगर ट्रक में कोई खराबी आती है तो ट्रांसपोर्टर इसकी जानकारी भी ई-वे बिल पर दे सकता है। यह एक टोकन है, जो माल की आवाजाही के नियमन के लिए ऑनलाइन जेनरेट किया जा सकता है।
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