1 – FAO की 75वीं वर्षगांठ पर PM मोदी जारी करेंगे 75 रुपये का खास सिक्का
खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी शुक्रवार को 75 रुपये का स्मृति सिक्का जारी करेंगे। साथ ही वह हाल ही में विकसित की गई आठ फसलों की 17 जैव संवर्धित किस्मों को भी राष्ट्र को समर्पित करेंगे। बता दें कि एफएओ के साथ भारत का ऐतिहासिक संबंध रहा है। भारत के प्रशासनिक सेवा अधिकारी बिनय रंजन सेन ने एफओए के महानिदेशक के रूप में 1956 से 1967 तक काम किया था। यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि सरकार कृषि और पोषण को सबसे अधिक प्राथमिकता देती है। साथ ही इससे उसके भुखमरी और कुपोषण के उन्मूलन के संकल्प का भी पता चलता है। बयान के मुताबिक, यह कार्यक्रम सरकार द्वारा कृषि और पोषण क्षेत्र को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता को समर्पित है और साथ ही भूख, अल्पपोषण और कुपोषण को पूरी तरह से खत्म करने के सरकार के संकल्प को परिलक्षित करता है। इस कार्यक्रम में देश भर के आंगनवाड़ी, कृषि विज्ञान केंद्र और जैविक व बागवानी अभियान से जुड़े लोग शामिल होंगे। एफएओ का कार्य पोषण का स्तर उठाना, ग्रामीण जनसंख्या का जीवन बेहतर करना और विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि में योगदान करना है।
2 – पोर्टल के जरिये 25 करोड़ प्रवासी मजदूरों को भर्ती करने की योजना : केंद्र सरकार
असंगठित क्षेत्र के प्रवासियों और अन्य श्रमिकों के लिए एक पोर्टल खोलने का प्रस्ताव रखा है। जिसमें आने वाले कुछ सालों में कम से कम 25 करोड़ मजदूरों का नामांकन हो सकेगा और ये पोर्टल उनके सामाजिक कल्याण के लिए काम करेगा। हाल ही में पद संभालने वाले केंद्रीय श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने कहा, ये ऐसा पहला पोर्टल होगा, ये चल रहे कई कार्यक्रमों से भी जुड़ा रहेगा जैसे आयुष्मान भारत या सब्सिडी वाली राशन योजना, गरीब कल्याण अन्ना योजना, और श्रमिकों को मोबाइल फोन के माध्यम से सीधे पंजीकृत किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा कि 1.4 करोड़ प्रवासी कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान घर लौट आए, लेकिन विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि ये डेटा सिर्फ श्रमिक विशेष ट्रेनों से यात्रा करने वाले मजदूरों का था और बस, ट्रक और अन्य साधनों से लौटने की कोशिश करने वाले श्रमिकों को इसमें शामिल नहीं किया गया। सरकार ने भारतीय कार्यबल के प्रवास पर पहला आधिकारिक सर्वेक्षण शुरू करने की योजना बनाई है, जिसमें मौसमी और लंबे समय तक प्रवासीय रहने वाले दोनों शामिल हैं। चंद्रा ने कहा कि पोर्टल और सर्वेक्षण से सरकार को माइग्रेशन पैटर्न को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा, कार्यकर्ता आधार कार्ड से अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं या फिर दूसरे तीरकों से भी इसे पूरा किया जा सकता है।
3 – Delhi NCR : हवा हुई बेहद खराब, नोएडा और गाजियाबाद भी रेड जोन में
बृहस्पतिवार को दिल्ली समेत एनसीआर के सभी शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 से ऊपर चला गया। ग्रेटर नोएडा देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। यहां वायु गुणवत्ता स्तर 357 दर्ज किया गया जो दिन में एक समय 400 पर भी था। मेरठ का एक्यूआई 359, तीसरे नंबर पर 335 एक्यूआई के साथ फरीदाबाद व 332 के साथ मुजफ्फरनगर चौथे स्थान पर रहा। सीपीसीबी के मुताबिक स्थानीय प्रदूषकों के अलावा पराली के धुएं से दिल्ली की हवा बेहद खराब स्तर पर पहुंची। राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक 312 दर्ज किया गया। इस सीजन में पहली बार प्रदूषकों में छह फीसदी हिस्सा पराली के धुएं का रहा। अगले दो दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। शनिवार शाम हवा की चाल तेज होने से प्रदूषण स्तर में थोड़ा सुधार हो सकता है। बावजूद इसके यह खराब व बेहद खराब की सीमा रेखा पर ही रहेगा। बता दें कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार को प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए नया अभियान लांच किया है।
4 – राष्ट्रपति पद के सबसे खराब उम्मीदवार हैं जो बिडेन : ट्रम्प
US Presidential election 2020 : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन को राजनीति के इतिहास में राष्ट्रपति पद का “सबसे खराब उम्मीदवार” कहा। ट्रम्प ने एक रैली में कहा “यह सबसे अजीब दौड़ है – मैं राष्ट्रपति पद के राजनीति के इतिहास में सबसे खराब उम्मीदवार के खिलाफ दौड़ रहा हूं और यहां हार जाने का बहुत अधिक दबाव है। अगर मैं यहाँ हार जाता हूँ तो ये बहुत बड़ी चिंता की बात होगी। अगर वह अच्छे होते तो मेरा दबाव थोड़ा कम होता आप ऐसे आदमी से कैसे हार सकते हैं?” यदि बिडेन जीतता है, तो अमेरिका चीन के स्वामित्व में होगा। बता दें कि अंतिम सप्ताह में जैसे-जैसे प्रचार रफ्तार पकड़ रहा है, दोनों ही उम्मीदवार चुनाव संबंधी अन्य जरूरतों पर भी पूरा ध्यान दे रहे हैं। इसके मद्देनजर, बृहस्पतिवार दोपहर को उत्तरी कैरोलिना में ट्रंप ने रैली की, वहीं बाइडेन ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए चुनावी चंदा जुटाने के अभियान को गति प्रदान की।
5 – कंटेनर फंसने से एक्सपोर्ट महंगा होना शुरू
आर्थिक गतिविधियों के लिए अब एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है। दूसरे देशों में कंटेनर फंसने के चलते देश के तमाम पोर्ट्स पर एक्सपोर्ट के लिए जरूरी कंटेनरों की भारी कमी हो गई है। इसके चलते एक्पोर्टरों को न सिर्फ कंटेनर बुकिंग के लिए करीब दोगुना किराया देना पड़ रहा है बल्कि समय पर खरीदार को कंसाइनमेंट की डिलीवरी कर पाना भी मुश्किल होता जा रहा है। बता दे कि अमेरिकी और यूरोपीय देशों में माल भेजने के लिए इसमें 25 से 40 फीसदी की बढ़त देखी जा रही है। ये हालात देश के कई समुद्री, हवाई सभी पोर्ट्स पर बन गए हैं। कारोबारियों के मुताबिक पहले चीन से बड़े पैमाने पर समान का इम्पोर्ट हुआ करता था लेकिन बदले हालात में वहां से सामान नहीं आ रहा है। इसकी वजह से पर बड़े पैमाने पर कंटेनर फंसे हुए हैं। ऐसे में शिपिंग और लॉजिस्टिक्स कंपनियों को भारत से सामान एक्पोटर्स करने के लिए खासतौर पर खाली कंटेनर विदेशों से मंगाने पड़ रहे हैं। यही खर्चा कंपनियां एक्पोटर्स से वसूल रही है जिससे एक्सपोर्ट की लागत बढ़ गई है। यही नहीं कंटेनर की कमी होने से माल पोर्ट पर भी ज्यादा फंसा रहता है।