लुधियाना, (सुनीलराय कामरेड) : अपने परिवार समेत ‘सरबत दे भले’ के वास्ते अरदास करने के लिए वाहेगुरू के दरबार स्थित उत्तराखंड- श्री हेमकुुंड साहिब यात्रा को निकले दो अमेरिकन सिखों के वारिसों ने अमेरिका जांच एजेंसी ‘एफबीआई’ तक पहुंच करके उन तथ्यों की जानकारी जुटाने के लिए गुहार लगाई है ताकि गुरु सिख परिवार के 9 वर्षीय हरमन सिंह व 5 वर्षीय अमृत जोत कौर समेत 35 वर्षीय मनजीत कौर का लंबा इंतजार खत्म हो सके। यह सिख परिवार अपने खोए हुए पारिवारिक सदस्यों के सकुशल वतन लौटने का पिछले 70 दिनों से इंतजार कर रहा है।
जानकारी के अनुसार छह जुलाई, 2017 को अमेरिकन नागरिक हरकेवल सिंह व उसके पिता प्रेमजीत सिंह उन 8 सिख श्रद्धालुओं में शामिल थे, जोकि इस यात्रा के दौरान लापता हो गए। इन 8 शख्सियतों में 6 श्रद्धालु गुरु की नगर अमृतसर जिले के कस्बा मेहता के रहने वाले किरपाल सिंह, जसबीर सिंह, कुलबीर सिंह व ड्राइवर महंगा सिंह थे, जबकि हरपाल सिंह और वरिंदर सिंह भारत-पाकिस्तान सीमावर्ती जिले गुरदासपुर के गांव डल्ला के रहने वाले थे। सरदार प्रेमजीत सिंह व उनके दामाद हरकेवल सिंह कैलेर्फोनियां स्टेट के सैंकरमेंटों के रहने वाले हैं।
श्रद्धालुओं की तालाश में उत्तराखंड सरकार द्वारा की गई तमाम कोशिशों से हताश व निराश होकर अमेरिका सिख हरकेवल सिंह की पत्नी व सरदार प्रेमजीत सिंह की पुत्री बीबी मनजीत कौर ने अमेरिकन खुफिया विभाग एफबीआई के पास जाकर भारत के उत्तराखंड में अपने लापता पारिवारिक सदस्यों को ढूंढने के लिए गुहार लगाई थी, जिसे मंजूर कर लिया गया है। इस खबर के लिए विशेष संवाददाता से आज मोबाइल फोन पर बातचीत करते हुए मनजीत कौर ने सुबकते हुए बताया कि उसके बच्चे हर पल अपने खोए हुए डैडी के सकुाल होने की वाहेगुरु के आगे अरदास करते हैं, ताकि परिवारिक सदस्य वापस आएं किंतु ऐसा हो नहीं पाया। अपने बीते वक्त की यादों को याद करने के दौरान मंजीत कौर ने कहा कि श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा से वापसी करते समय छह जुलाई 2017 को घटित घटनाक्रम को लेकर उत्तराखंड पुलिस व पंजाब से पहुंची एक जांच टीम ने दावा किया था कि उक्त आठों लोग एक हादसे का शिकार हो चुके है। जबकि गुरूद्वारा गोबिंदघाट के प्रबंधक यह अंदेशा जता रहे है कि हो सकता है कि अनहोनी के दौरान श्रद्धालुओं की गाड़ी गहरे अलकनंदा दरिया में जा गिरी हो।
उसने यह भी शिकायत के लहजे में कहा कि गुरूद्वार गोबिंद घाट के प्रबंधक या कोई भी जांच एजेंसी, उन्हें कोई भी तस्सलीबख्श जवाब नहीं दे सकी। अगर उनके पास किसी भी प्रकार का कोई छोटा-बडा सबूत है तो किसे एसयूवी गाडी पर लगा टाटा कंपनी का लोगों व दो खिड़कियों के वाइजर, अगली लाइट व रबड़ के लंबे टुकडे है। उन्होंने आशंका प्रकट करते हुए कहा कि यह सामान किसी भी अन्य गाड़ी का भी हो सकता है। जरूरी नहीं, कि वह उस गाडी का है, जिसमें यह श्रद्धालु सफर कर रहे थे। मनजीत कौर ने यह भी कहा कि परिवार ने उत्तराखंड प्रशासन को भी स्पष्ट कर दिया है।
कि जो दस्तार हादसे के दौरान मिली बताई जा रही है, वह उन 8 श्रद्धालुओं में किसी की भी नहीं हो सकती है। क्योंकि यह दस्तार काफी पुरानी, रंग फिटा और फटी हुई थी। मनजीत कौर ने बताया कि उन्होंने लापता हुए श्रद्धालुओं पर विशेषकर अमेरिकन नागरिकों की खोज को लेकर बार-बार उत्तराखंड सरकार समेत अमृतसर प्रशासन से गुहार लगाई है। परंतु कोई भी तस्सलीबख्श जवाब नहीं मिला। वह उत्तराखंड सरकार से घटनास्थल के नजदीक लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज मांग चुके हैं परंतु कोई भी जानकारी नहीं दी गई।
उधर, भारत स्थित अमेरिकी दूतावास में मंजीत कौर को लिखे पत्र में यही लिखा है कि अलकनंदा दरिया में पानी का बहाव तेज होने के कारण उत्तराखंड प्रशासन केवल दरिया के किनारों की ही तलाशी कर सका है। दूतरावास ने यकीन दिलाया है कि पानी का बहाव कम होते ही तलाश बारे जानकारी परिवार को भेजी जाएगी। मंजीत कौर ने यह भी बताया कि उपरोक्त हालात के मद्देनजर उन्होंने अमेरिकन जांच एजेंसी एफबीआई के पास गुमशुदा सदस्यों के लिए पहुंच की है ताकि लंबे समय से भारत यात्रा के लिए गए उनके पारिवारिक सदस्यों की जानकारी मिलने पर उनका इंतजार खत्म हो सके।