राज्यसभा में विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) (UAPA) संशोधन बिल 2019 पास हो गया है। हालांकि विपक्ष के कई दलों ने इस बिल का विरोध किया। वहीं YSRCP, TDP और BSP ने बिल का समर्थन किया। बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव पहले ही गिर चुका है। बिल को को प्रवर समिति के पास भेजे जाने का विपक्ष का प्रस्ताव 85 के मुकाबले 104 मतों से खारिज हो गया है। बिल को पास करने के लिए सदन में वोटिंग हुई।
वोटिंग से पहले पक्ष और विपक्ष में जोरदार बहस हुई। बिल का विरोध करते हुए पूर्ववित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा, यदि आप संशोधन के कारणों को देखते हैं, तो यह एनआईए को सशक्त बनाने के लिए कहता है। 2008 में जब मैंने गृह मंत्री के रूप में पदभार संभाला, मैंने कहा कि आतंकवाद विरोधी तीन पैरों पर खड़ा होगा- एक एनआईए है, एक एनएटीजीआरआईडी है और एक एनसीटीसी है। आज हमारे पास केवल एक पैर है, आपने NATGRID और NCTC के बारे में क्या किया है? वे सीमित क्यों हैं?।
चिदंबरम ने कहा कि यूपीए सरकार ने कानून बनाया और समय-समय पर इसे संशोधित भी किया. कोई यूपीए पर आतंकवाद के खिलाफ नरम रहने की बात नहीं कर सकता क्योंकि हमने इसके खिलाफ कठोर कदम उठाए हैं और हम ही आतंकवाद के खिलाफ कानून बनाने वाले थे।
उन्होंने कहा, मान लीजिए कि हम यह कहें कि पूछताछ के बाद किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करेंगे तो इस शर्त पर हम हाफिज सईद या दाऊद इब्राहिम को कैसे आतंकवादी घोषित कर पायेंगे, क्योंकि उससे पूछताछ करना अभी संभव नहीं है। उनहोंने कहा कि परिस्थितिजन्य आधार पर यह तय किया जायेगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के बाद भी कई स्तर पर समीक्षा होगी।
उन्होंने कहा कि चार स्तर पर इसकी समीक्षा होगी। इसलिए इसे लेकर शंका नहीं की जानी चाहिए। वर्तमान सत्र में यह तीसरा मौका है जब राज्यसभा में सरकार ने समुचित संख्या बल नहीं होने के बावजूद विवादास्पद विधेयक को पारित कराया है।
UAPA बिल पर बोलते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा, हमें बीजेपी के इरादे पर संदेह है। कांग्रेस ने आतंकवाद पर कभी समझौता नहीं किया, यही वजह है कि हम यह कानून लाए हैं। यह वह है जिसने आतंक पर समझौता किया, एक बार रुबाई सईद जी की रिहाई के दौरान और दूसरा मसूद अजहर को छोड़ कर।
बिल को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, आतंकवाद से मुकाबले के लिए ऐसा करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कानून में यदि इस तरह का प्रावधान 2009 में रहा होता तो कोलकाता पुलिस द्वारा पकड़ा गया कुख्यात आतंकवाद यासीन भटकल कभी नहीं छूट पाता और आज एनआईए की गिरफ्त में होता।
शाह ने कहा कि हमें इस बात को समझना होगा कि व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का क्या मतलब है? उन्होंने कहा कि ये बड़े जटिल तरह के मामले होते हैं जिनमें साक्ष्य मिलने की संभावना कम होती है। ऐसे मामले अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय किस्म के होते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि संस्था व्यक्ति से बनती है। शाह ने कहा कि उनका भी यही तर्क है कि संस्था व्यक्ति से बनती है, संगठन के संविधान से नहीं।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के मामले में प्राय: यह देखने में आया है कि एक संगठन पर प्रतिबंध लगाने पर व्यक्ति दूसरा संगठन खोल लेते हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आतंकवाद संगठन नहीं, व्यक्ति करता है।