नई दिल्ली, (पंजाब केसरी) : दशकों से भारतीय शहरों की घोर उपेक्षा की गई है। पिछली सरकारों ने इस दुस्वप्न को नजरअंदाज करने की कोशिश की या फिर टुकड़े-टुकड़े में इसका समाधान देखा। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने जो शुरुआत की उसे दुनियाभर में सबसे व्यापक, नियोजित शहरीकरण प्रयास के रूप में स्वीकार किया जाता है।
यूपीए सरकार के 2004-2014 के दस वर्षों के दौरान शहरी क्षेत्र में 1,57,000 करोड़ के निवेश के मुकाबले मोदी सरकार में पिछले 6 वर्षों में ही 6 गुना बढ़ोतरी हुई है जो लगभग 11 लाख करोड़ है। केंद्रीय आवास और शहरी मामले और नागरिक उड्डयन मंत्री तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि केंद्रीय बजट 2021-22 और 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट ने मिलकर भारत के शहरों के लिए एक नए युग की शुरुआत की है।
महामारी वाले साल में लगभग 7 लाख करोड़ के अभूतपूर्व बजट और अनुदान परिव्यय ने 5 साल से ज्यादा की अवधि में हमारे शहरों की क्षमता को अनलॉक करने की एनडीए सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की है, इसमें जीवन जीने में आसानी और व्यापार सुगमता दोनों शामिल हैं। 7 लाख करोड़ में से पानी और स्वच्छता के लिए 5 लाख करोड़ दिए गए हैं जिसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन शामिल है।
शेष राशि में से 88,000 करोड़ मेट्रो रेल, 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए 33 हजार करोड़ का अनुदान, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 26,000 करोड़, बस परिवहन के लिए 18,000 करोड़, स्वच्छ हवा के लिए 15 हजार करोड़ और नए शहरों व नगरपालिका की साझा सेवाओं के लिए 8450 करोड़ दिए गए हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना, अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन और स्मार्ट सिटीज मिशन जैसी प्रमुख योजनाओं ने शहरी शासन में एक नया दृष्टिकोण अपनाया है क्योंकि मोदी सरकार ने अतीत की पुरातन धारणाओं को चुनौती दी और नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को केंद्र में रखा।
पांच वर्षों से ज्यादा की अवधि में 2.87 लाख करोड़ के परिव्यय के साथ जल जीवन मिशन और 1.41 लाख करोड़ के परिव्यय के साथ स्वच्छ भारत मिशन संस्करण-2 को लेकर हालिया बजट घोषणाएं नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को अगले स्तर तक ले जाने और इसे पूरे भारत में पहुंचाने का संकल्प व्यक्त करती हैं।