उत्तराखंड आपदा : तपोवन सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए सुराख को और चौड़ा किया जा रहा है - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

उत्तराखंड आपदा : तपोवन सुरंग में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए सुराख को और चौड़ा किया जा रहा है

ऋषिगंगा नदी पर बनी एक अस्थायी झील से पानी निकलना शुरू हो गया है जिससे इस क्षेत्र में एक और बाढ़ का खतरा कम हो गया है जबकि उत्तराखंड में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की गाद से भरी सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक पहुंचने के लिए सुरंग में किए गए सुराख को बचाव टीमों ने शनिवार को और चौड़ा करना शुरू कर दिया।

ऋषिगंगा नदी पर बनी एक अस्थायी झील से पानी निकलना शुरू हो गया है जिससे इस क्षेत्र में एक और बाढ़ का खतरा कम हो गया है जबकि उत्तराखंड में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की गाद से भरी सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक पहुंचने के लिए सुरंग में किए गए सुराख को बचाव टीमों ने शनिवार को और चौड़ा करना शुरू कर दिया। 
पिछले रविवार को अचानक आई बाढ़ के बाद सुरंग 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है। 
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) परियोजना के महाप्रबंधक आर पी अहिरवाल ने कहा, ‘‘सिल्ट फ्लशिंग टनल (एसएफटी) में शुक्रवार रात 75 मिमी व्यास का सुराख किया गया था, लेकिन अब इसे 300 मिमी तक चौड़ा किया जा रहा है ताकि गाद से भरी सुरंग के अंदर उस स्थान तक कैमरा और पानी बाहर निकालने वाला पाइप पहुंच सके जहां लोगों के फंसे होने की आशंका है।’’ 
उन्होंने कहा कि सुराख में 12 मीटर की गहराई होगी। 
बचाव अभियान में लगी कई एजेंसियों की समन्वय बैठक में, अहिरवाल ने कहा कि एसएफटी सुरंग के अंदर की स्थितियों को 10-12 घंटे में जाना जा सकता है। 
एनटीपीसी अधिकारी ने कहा कि धौलीगंगा के प्रवाह को बहाल करने का कार्य भारी मशीनों के जरिए शुरू किया जा चुका है। प्रभावित इलाकों से अब तक 38 शव बरामद किए गए हैं जबकि 166 अभी भी लापता हैं। 
यहां राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र ने कहा कि ऋषि गंगा के एक हवाई सर्वेक्षण के दौरान भारतीय दूर संवेदन संस्थान के वैज्ञानिकों ने पाया कि हिमस्खलन के कारण बनी झील पानी छोड़ने लगी है, जिससे इस क्षेत्र में एक और बाढ़ का खतरा कम हो गया है। 
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई आपदा के बाद ऋषिगंगा के ऊपरी क्षेत्र में बनी इस कृत्रिम झील पर अध्ययन कर रहा है और इसमें से पानी को बाहर निकालने के लिए नियंत्रित विस्फोट की संभावना की पड़ताल कर रहा है। 
सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष सौमित्र हलदर ने कहा, ‘‘हम इस बारे में आकलन कर रहे हैं कि यदि मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबकि बारिश और हिमपात के बाद जलस्तर बढ़ता है तो क्या प्रभाव हो सकता है। हम इस बारे में भी अध्ययन कर रहे हैं कि यदि झील फटती है तो कितना पानी निकलेगा और इसे नीचे तक पहुंचने में कितना समय लगेगा।’’ 
उन्होंने कहा कि झील 400 मीटर लंबी, 25 मीटर चौड़ी और 60 मीटर गहरी है। 
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के कमांडेंट पी के तिवारी ने कहा कि अपने अनुभव के आधार पर, वह जीवन बचाने के बारे में आशावादी हैं। 
उन्होंने सुरंग में हवा आने और दरार की संभावित उपस्थिति का उल्लेख किया। 
अहिरवाल ने कहा कि एक फुट परिधि वाला सुराख एक कैमरा एवं पाइप भेजने और फंसे हुए लोगों के स्थान का पता लगाने में मदद करेगा। सुरंग के अंदर जमा पानी को इस पाइप के जरिए बाहर निकाला जाएगा। 
उन्होंने फंसे हुए लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता बताते हुए कहा कि 100 से भी अधिक वैज्ञानिक संबंधित कार्य को देख रहे हैं। 
यह पूछे जाने पर कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक क्या बचावकर्मियों को भी सुराख के जरिए भेजने की कोशिश की जा सकती है, महाप्रबंधक ने कहा कि इस सुराख को और अधिक चौड़ा करने की जरूरत होगी तथा जरूरत पड़ने पर ऐसा किया जाएगा। 
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के लिए जरूरी सभी संसाधन और यांत्रिक उपकरण परियोजना स्थल पर उपलब्ध हैं। 
हालांकि, उन्होंने सुरंग के अंदर की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम एक समय पर कुछ मशीनों के जरिए ही कार्य कर सकते हैं। शेष को तैयार रखना होगा क्योंकि हमारी रणनीति चौबीसों घंटे अभियान जारी रखने की है।’’ 
उन्होंने कहा कि आपदा में परियोजना के कई अनुभवी कर्मी लापता हो गए और काम पर रखे गए लोग नए हैं लेकिन फिर भी वे लोग पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं। 
अहिरवाल ने कहा कि दो अन्य रणनीतियों के तहत एनटीपीसी बैराज के गाद बेसिन को साफ किया जा रहा है जिसकी गाद लगातार सुरंग में जा रही है। साथ ही, धौलीगंगा की धारा को फिर से दायीं ओर मोड़ा जाएगा, जो कि अचानक आई बाढ़ के चलते बायीं ओर मुड़ गई थी और जिससे गाद हटाने के कार्य में बाधा आ रही है। 
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने कहा कि जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 38 शव बरामद किए गए हैं और 166 लापता है। 
उन्होंने कहा कि अब तक 20 शवों और 12 मानव अंगों का डीएनए जांच के बाद अंतिम संस्कार किया गया है। 
उत्तराखंड के देहरादून, बागेश्वर और हरिद्वार जिलों तथा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी और अलीगढ़ जिलों से संबंधित पांच लोगों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी दी गई। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four × four =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।