विधानसभा चुनावों में वोटों के ध्रुवीकरण का कारण बन सकतीं हैं हिंसक घटनाएं - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

विधानसभा चुनावों में वोटों के ध्रुवीकरण का कारण बन सकतीं हैं हिंसक घटनाएं

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर देश के कई हिस्सों में, खासतौर से दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक हो रही हिंसक घटनाएं आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकती हैं। ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर देश के कई हिस्सों में, खासतौर से दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक हो रही हिंसक घटनाएं आगामी चुनावों पर भी असर डाल सकती हैं। ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है। 
विश्लेषकों का मानना है कि इस कानून ने अधिकांश जनता को दो वर्गों में बांट दिया है। एक वर्ग जहां खुलकर इसका समर्थन कर रहा है तो दूसरा पक्ष खुलकर विरोध। सीएए ने जनता में आमने-सामने दो फ्रंट खड़े कर दिए हैं। ऐसे में मौजूदा समय चल रहे झारखंड और आगामी समय में होने वाले दिल्ली और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। इसको लेकर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहीं हैं। 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बीते सोमवार को ट्वीट कर जहां सीएबी और एनआरसी को बड़े पैमाने पर ध्रुवीकरण करने वाला हथियार बताया, वहीं बाद में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कांफ्रेंस कर हिंसा के पीछे वोटों के तुष्टीकरण को वजह बताते हुए कांग्रेस सहित विपक्ष पर हमला बोला था। 
उन्होंने कहा था, ‘एक ओर (असदुद्दीन) ओवैसी और (आप नेता) अमानतुल्लाह खान जैसे लोग जिन्ना की तरह देश को बांटने की साजिश रचते हैं तो दूसरी ओर ममता बनर्जी भी पश्चिम बंगाल में जाति और धर्म की राजनीति कर रहीं हैं। वास्तव में आज ये पार्टियां एक समुदाय के लिए वोट के लिए तुष्टीकरण की राजनीति कर रहीं हैं।’ 
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल ने आईएएनएस से कहा कि चुनावों से पहले अगर किसी भी राज्य में हिंसक घटनाएं होती हैं तो कुछ न कुछ असर जरूर पड़ता है। यूपी में हुए मुजफ्फरनगर के दंगे हों या फिर अन्य राज्यों में ऐसी हिंसक घटनाएं, उन्होंने चुनाव को जरूर प्रभावित किया है। 
उन्होंने कहा, ‘धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों को लेकर विवाद की स्थिति में जनता का ध्रुवीकरण हो जाता है। वजह कि अन्य मुद्दों को छोड़ एक ही विषय पर जनमत या तो समर्थन में या फिर विरोध में बंट जाता है। लाजिमी है कि सीएए का समर्थन कर रहा धड़ा भाजपा के साथ जाएगा और विरोध कर रहा धड़ा विपक्ष के साथ जा सकता है। इस तरह से जनमत का आक्रामक मत विभाजन राजनीतिक दलों के लिए हमेशा अनुकूल होता है।’
 
रतनमणि लाल ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक वोट काफी मायने रखते हैं, वहां पर ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में जा सकता है, मगर दिल्ली में हुई हिंसक घटनाएं भाजपा के हित में नहीं कहीं जा सकतीं। वजह कि यहां दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन है, ऐसे में हिंसक घटनाओं पर जवाबदेही केंद्र सरकार की बनती है, जिससे भाजपा पश्चिम बंगाल की तरह यहां राज्य सरकार को आसानी से घेर नहीं सकती।’ 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

13 + fifteen =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।