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जम्मू-कश्मीर पर संसद में जो हो रहा है वो संवैधानिक त्रासदी : कांग्रेस

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ भारत का अभिन्न अंग पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार के कारण बने।

कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के कदम के संवैधानिक आधार पर सवाल खड़े करते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि संसद में आज जो रहा है वो एक संवैधानिक त्रासदी है। 
जम्मू-कश्मीर संबंधित गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश सांविधिक संकल्प पर चर्चा की शरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ भारत का अभिन्न अंग पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार के कारण बने। 
जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के इतिहास का उल्लेख करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि किसी भी राज्य को विभाजित करने या उसके भौगोलिक क्षेत्र में बदलाव करने का कदम उठाने से पहले संबंधित राज्यों की विधानसभा की संस्तुति लेनी आवश्यक है। 
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उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को दो राज्यों में विभाजित करने के लिए वहां की विधायिका की कोई अनुमति नहीं ली गई। वहां की विधानसभा भंग की गई और अब संसद में ही राज्य के बारे में फैसला हो रहा है। इस पर वाईएसआर कांग्रेस के कुछ सदस्य यह आरोप लगाते सुने गए कि आंध्र के बंटवारे के लिए भी विधानसभा कोई संतुति नहीं ली गई। तिवारी ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी प्रदेश को केंद्रशासित राज्य में बांटा जा रहा है। इसलिए मैं कहा रहा हूं कि यहां जो रहा है वो संवैधानिक त्रासदी है।
कांग्रेस नेता ने दावा किया कि पूर्वोत्तर और देश के कुछ अन्य राज्यों को अनुच्छेद 371 के तहत विशेष अधिकार हासिल हैं। क्या आप यह संदेश दे रहे हैं कि राज्य विधानसभाओं की राय लिए बिना वहां के बारे में फैसला करेंगे? क्या आगे आप पूर्वोत्तर के राज्यों से उनके विशेष अधिकार छीन लेंगे? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जो कदम उठाया है वो देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। 

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