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योगी सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगों से जुड़े आरोपियों से केस वापस लेना शुरू किया!

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लखनऊ : मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व वाली उत्‍तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर और शामली सांप्रदायिक दंगे से जुड़े 131 मामले वापस लेने शुरू कर दिए हैं। समें 13 हत्या के मामले और 11 हत्या की कोशिश के मामले हैं। योगी सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने साफ कहा कि वैसे मामले जो राजनीतिक दुर्भावना के तहत दर्ज किए गए थे, सरकार उन्हें वापस लेगी। सूत्रों के मुताबिक 5 फरवरी को सांसद संजीव बालियान और विधायक उमेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे और उन्होंने 161 लोगों की लिस्ट उन्हें सौंपी थी, जिनके केस वापस लेने की मांग की गई थी। इसके बाद यूपी सरकार ने 23 फरवरी को इसके लिए चिट्ठी मुजफ्फरनगर और शामली प्रशासन को भेजी है।

राजनीतिक दुर्भावना के तहत दर्ज मामले वापस होंगे: बृजेश पाठक योगी सरकार के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने बृजेश पाठक ने मुजफ्फरनगर दंगों के मुकदमों को वापस लेने के मामले में कहा, ‘मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विभाग की तरफ से ऐसे मुकदमों और लोगों को चिह्न‍ित करने के लिए शासन को कहा गया है। केस वापस लेने का मामला इस वक्त प्रक्रिया में है और जैसे ही रिपोर्ट प्राप्त होगी, यह केस वापस होंगे। किन नेताओं पर और कितने मुकदमे वापस होंगे, इस बारे में पाठक ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि जो मामले राजनीतिक दुर्भावना से दर्ज किए गए हैं, सरकार ने उन्हें वापस लेने का फैसला किया है। एक अखबार के अनुसार, कई ऐसे केस हैं जिनमें ‘गंभीर अपराध’ की आईपीसी की धाराएं लगाई गई हैं और जिनमें कम से कम सात की जेल हो सकती है।

16 केस आईपीसी की धारा 153ए के हैं जो धार्मिक आधार पर बैर को बढ़ावा देने के लिए लगाया गया है और दो मामले धारा 295 के हैं जो जानबूझ कर या दुर्भावना के तहत किसी धर्म या धार्मिक विश्वास का अपमान करने के लिए दर्ज किए गए हैं। गौरतलब है कि सितंबर 2013 में हुए इन दंगों में कम से कम 62 लोग मारे गए थे और हजारों को बेघर होना पड़ा था। मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुजफ्फरनगर और शामली थानों में करीब 1,455 लोगों के खिलाफ 503 मामले दर्ज कराए थे। लेकिन बीजेपी सांसद संजीव बालियान और बुढाना के विधायक उमेश कौशि‍क के नेतृत्व में मुजफ्फरनगर और शामली के एक खाप प्रतिनिधिमंडल ने इस साल 5 फरवरी को सीएम आदित्यनाथ से मिलकर 179 मामलों को रद्द करने मांग की थी। इन सभी मामलों में आरोपी हिंदू थे। इसके बाद 23 फरवरी को यूपी के कानून विभाग ने मुजफ्फरनगर और शामली के डीएम को पत्र लिखकर 131 मामलों का ब्योरा मांगा था।

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